DESK. योग गुरु बाबा रामदेव को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से मामूली राहत मिली. इसमें अदालत ने आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव की उस मांग को भी स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत पेशी से छूट की बात कही थी. हालांकि कोर्ट ने इस दौरान सख्त टिप्पणी भी की. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बाबा रामदेव ने योग के लिए बहुत काम किया है. इस पर जस्टिस कोहली ने कहा कि बाबा रामदेव ने योग के लिए जो किया, वह अच्छी बात है. लेकिन पतंजलि के उत्पादों का मामला अलग है.
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, 'बाबा रामदेव का बहुत प्रभाव है. इसे सही दिशा में इस्तेमाल करें.' साथ ही बाबा रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले में फैसला रिजर्व रख लिया. अब इस केस की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी. दरअसल पतंजलि के खिलाफ IMA ने केस दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि कोरोना, डायबिटीज और बीपी जैसी समस्याओं को दूर करने का दावा पतंजलि की दवाओं से किया जा रहा है. खासतौर पर कोरोना ठीक करने के दावे के साथ बिक रही पतंजलि की दवा कोरोनिल पर सवाल उठे थे.
जस्टिस ने पतंजली के भ्रामक विज्ञापनों पर फिर से आपत्ति जताई. कोर्ट ने साफ कहा कि रामदेव कोअपने प्रभाव का इस्तेमाल सही दिशा में करना चाहिए। केस की सुनवाई शुरू होने पर सीनियर वकील बलबीर सिंह ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की बेंच से कहा कि पतंजलि ने टीवी चैनलों को लिखा है। इन चैनलों पर अब भी पतंजलि के विज्ञापन चल रहे हैं। इस पर अदालत ने पतंजलि से पूछा कि आखिर उसके पास उन उत्पादों का कितना स्टॉक है, जिन पर रोक लग चुकी है।