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मंत्रियों-अफसरों के घर भेजी जा रही थीं लड़कियां, मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में सनसनीखेज आरोप

मंत्रियों-अफसरों के घर भेजी जा रही थीं लड़कियां, मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में सनसनीखेज आरोप

PATNA-मुजफ्फरपुर बालिका गृह की नाबालिग लड़कियों को बिहार सरकार के मंत्रियों और कई सरकारी अधिकारियों के घर भेजा जाता था। सत्ताधारी दलों के कई दिग्गज नेताओं के घर भी रक्षा गृह से लड़कियों को पहुंचाया जाता था। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आज ये आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है।

तेजस्वी का संगीन आरोप

तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार और सुशील मोदी से चुप्पी तोड़ने को कहा है। राजद नेता ने पूछा है कि ऐसे संगीन मामले पर सीएम और डिप्टी सीएम चुप्पी क्यों साधे हुए हैं। सरकार इसलिए खामोश है क्योंकि जिन लोगों के घर लड़कियों के भेजे जाने की चर्चा है उनमें सत्ताधारी दलों के दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं।

तेजस्वी के ट्विट का स्क्रीन शॉट डालें

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क्या है पूरा मामला

मुजफ्फरपुर में सरकार द्वारा संचालित बालिका गृह में लडकियों के यौन शोषण के मामले का खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसनें अपनी सोशल ऑडिट रिपोर्ट में किया था। इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के बाद सरकार और पुलिस हरकत में आयी थी। तोबडतोड़ छापे पड़े और पुलिस ने FIR दर्ज किया था। प्रारंभिक जांच पड़ताल में मामला सही पाये जाने के बाद बालिका गृह का संलाचन करने वाले एन जी ओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति  के संचालक बृजेश ठाकुर और अधीक्षक इंदु कुमारी समेत नौ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

मेडिकल रिपोर्ट में हुई रेप की पुष्टि

मुजफ्फरपुर बालिका गृह की लड़कियों की मेडिकल जांच करायी गयी है। मेडिकल रिपोर्ट में कम से कम तीन लडकियों के साथ रेप की पुष्टि हुई है। कई और लडकियों की रिपोर्ट अभी नहीं आयी है। हालांकि पुलिस मेडिकल रिपोर्ट को लेकर खामोश है।

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सरकार के रवैये से आरोपों पर लग रही मुहर

मुजफ्फरपुर बालिका गृह चलाने के लिए सरकार हर साल 34 लाख रूपये दे रही थी। बालिका गृह का हाल देखने के लिए हर साल चार बार सरकारी निरीक्षण किया जा रहा था। पटना से आये अधिकारी जांच पड़ताल करते थे। सवाल ये है कि जब लगातार जांच हो रही थी तो भी इतना संगीन मामला क्यों नहीं पकड़ा गया। सरकार ने समाज कल्याण विभाग के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? वहीं 2013 में भी इसी बालिका गृह पर बड़ा सवाल उठा था। बालिका सुधार गृह की एक लड़की गर्भवती हो गयी थी। आरोप ये था कि उसे पैसे पर बाहर भेजा जा रहा था। 2013 में इस मामले की FIR भी दर्ज की गयी थी। सराकर ने फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की और ना ही निगरानी रखी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या मुजफ्फरपुर बालिका गृह के संचालक का वाकई मंत्रियों और बड़े अधिकारियो के साथ सांठगांठ थी।

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