PATNA : कांग्रेस विधान परिषद सदस्य प्रेम चंद्र मिश्रा ने उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी पर 1979 में श्रमिकों के हेतु बने कानून"अंतरराज्यीय प्रवासी मजदूर एक्ट" को लेकर भ्रमित होने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ वे कहते हैं कि 40 साल पुराने कानून को बदलने की जरूरत है. दूसरी तरफ कहते हैं कि इस कानून का पालन नही होने के कारण प्रवासी श्रमिकों को परेशानी हुई है.
उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को लेकर मोदी के बयान से झलकता है कि वे श्रमिकों के बिहार आने से खुश नहीं है और वे इस कानून को दोषी ठहराने के क्रम में ये भूल गए कि 1979 में सत्ता में कांग्रेस नही थी बल्कि गैर कांग्रेसी पार्टियों जिसमे उस समय की जनसंघ जो अब भाजपा बन गयी है की सरकार बिहार से लेकर केंद्र तक थी. उस कानून में उद्योगपति और नियोक्ता को निर्देशित है कि वह श्रमिकों को विभिन्न प्रकार की सुविधा देंगे तो मोदी जी क्या श्रमिकों को सुविधा ना मिले. इसलिए कानून को बदलने की बात कर रहे हैं?
उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी स्वभाव से मजदूरों -गरीबों की विरोधी हैं और कुछ मदद करने की जगह गैर जरूरी बातें करते हैं जो उनके खुद के भ्रमित होने और सरकार में कोई पूछ नही होने की वजह से प्रतिदिन कुछ ना कुछ बयान देकर यह एहसास कराते हैं कि वे उप मुख्यमंत्री हैं.
उन्होंने कहा की कितना आश्चर्य है कि मोदी कानून के सही से पालन ना होने को वजह बता रहे प्रवासियो के बिहार आना मतलब कोरोना जैसे महामारी में जब नॉकरी रोजगार छीन जाए और खाने पीने और रहने की समस्या हो जाये तब भी श्रमिकों को वहीं रहना चाहिए था. अगर ऐसी उनकी मंशा है तो फिर कानून को बदलने की बात क्यों? उक्त कानून के पालन हेतु राज्य के बाहर एक इंस्पेक्टर की प्रतिनियुक्ति का भी प्रावधान है. क्या 15 साल से सत्ता में बैठे मोदी बताएंगे कि बिहार सरकार ने किसी राज्य में श्रमिकों के सुविधाओं का हाल जानने हेतु क्या कभी कोई इंस्पेक्टर प्रतिनियुक्ति किया और नही तो बेफिजूल बयानबाजी बंद कर बिहार लौटे श्रमिकों के सुख सुविधाओं के लिए काम करें.
पटना से विवेकानंद की रिपोर्ट