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कृषि बिल से टेंशन में मोदी सरकार, विपक्ष के साथ एनडीए के सहयोगी भी कर रहे है विरोध, जानिए क्यों....

कृषि बिल से टेंशन में मोदी सरकार, विपक्ष के साथ एनडीए के सहयोगी भी कर रहे है विरोध, जानिए क्यों....

N4N DESK : लोकसभा में कृषि संबंधी विधेयक पास होने के बाद भी मोदी सरकार की  टेंशन बरकरार है। विपक्ष और किसानों के साथ-साथ अब एनडीए के कुछ घटक दल भी कृषि विधेयक के खिलाफ खड़े हो गए हैं। इसी कड़ी में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को मोदी कैबिनेट से इस्तीफा भी दे दिया, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर भी कर लिया गया है। 

दरअसल सोमवार को लोक सभा में कृषि संबंधी तीन बिल पेश किए गए, जिसमें से एक बिल मंगलवार को और बाकी दो विधेयक कल यानी गुरुवार को पारित हुए। पहला कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल है। दूसरा बिल मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) है, जबकि तीसरा बिल आवश्यक वस्तु संशोधन है। 

पीेएम मोदी ने बिल को बताया किसानों को सशक्त करने वाला विधयेक

विधेयक पारित होने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं, लेकिन मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं।

वही इस विधयेक को लेकर सरकार का कहना है कि ये विधेयक किसानों के लिए वरदान है। इस विधेयक का उद्देश्य किसानों को उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना है जो कि खुद किसान सुनिश्चित करेंगे।नए विधेयकों के मुताबिक अब व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकेंगे।

सरकार का कहना है कि पहले फसल की खरीद केवल मंडी में ही होती थी लेकिन अब मंडी के बाहर भी खरीद-फरोख्त हो पाएगी। केंद्र ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज और खाद्य तेल आदि को आवश्यक वस्तु नियम से बाहर कर दिया है। केंद्र ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग (अनुबंध कृषि) को बढ़ावा देने पर भी काम शुरू किया है।

किसान क्यों कर रहे हैं विरोध?

इधर किसान संगठनों का आरोप है कि नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को ही होगा। अब बाजार में एक बार फिर से पूंजीपतियों का बोलबाला होगा और आम किसान के हाथ में कुछ नहीं आएगा और वो पूंजीपतियों के लिए केवल दया का पात्र रह जाएगा। ये विधेयक बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देने वाला है। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल पर किसानों को सबसे ज्यादा आपत्ति है। किसानों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली का प्रावधान खत्म हो जाएजा, जो कि किसानों के लिए सही नहीं है।

विपक्ष की है यह दलील

वही कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को ‘किसान विरोधी’ करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि इन विधेयकों से जमाखोरी, कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा तथा उद्योगपतियों एवं बिचौलियों को फायदा होगा।


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