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वक्फ एक्ट में बड़े संशोधन की तैयारी में मोदी सरकार, संसद में आज पेश हो सकता है बिल,आमने सामने सत्ता पक्ष-विपक्ष

वक्फ एक्ट में बड़े संशोधन की तैयारी में मोदी सरकार, संसद में आज पेश हो सकता है बिल,आमने सामने सत्ता पक्ष-विपक्ष

दिल्ली- केंद्र की मोदी सरकार  वक्फ बोर्डों की नकेल कसने जा रही है. मोदी सरकार वक्फ एक्ट में बड़े संशोधन करने जा रही है.  2 अगस्त को कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है.जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है. 40 प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार वक्फ बोर्डों द्वारा संपत्तियों पर किए गए दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा. वक्फ बोर्ड की विवादित संपत्तियों के लिए भी अनिवार्य सत्यापन का प्रस्ताव दिया गया है. वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए एक बिल आज  संसद में पेश किया जा सकता है.

संसद में वक्फ बोर्ड एक्ट संशोधन को लेकर बवाल मचा है. संसद के मानसून सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार आज यानी सोमवार को एक बिल लेकर आ सकती है, जिसके जरिए वह वक्फ बोर्ड के अधिकारों में संशोधन करेगी. वक्फ एक्ट में जो बदलाव लाने का प्रस्ताव है, अगर वे लागू हो जाते हैं तो वक्फ बोर्ड का स्वरूप और उसके अधिकारों पर काफी प्रभाव पड़ेगा. उसकी शक्तियां काफी सीमित हो जाएंगी.

मोदी सरकार जो आज वक्फ एक्ट में संशोधन का जो बिल ला रही है, उसके कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हो सकते हैं. अब वेरिफिकेशन से पहले कोई भी जमीन वक्फ की संपत्ति घोषित नहीं की जा सकती है. बोर्ड की संरचना में बड़ा बदलाव होगा और इसमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. जिला मजिस्ट्रेट के जरिए वक्फ की संपत्ति पर निगरानी रखी जा सकती है. मोदी सरकार ये बड़े बदलाव वक्फ एक्ट में ला सकती है.

सूत्रों के अनुसार वक्फ बोर्डों के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं. 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन लाकर वक्फ बोर्डों को और अधिकार दिए थे. वक्फ बोर्ड जिस संपत्ति को अपना घोषित करते हैं, उसे वापस लेने के लिए जमीन के मालिक को कोर्ट में एड़ियां घिसनी होती हैं. वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को अपना बताने का अधिकारी 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार के दौर में मिला था.

वक्फ बोर्ड के गठन के लिए 1954 में नेहरू के शासनकाल में वक्फ एक्ट पास हुआ था. इसके बाद केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन 1964 में हुआ, जो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन, एक सांविधिक निकाय है. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री होते हैं, जिन के पास वक्फ का प्रभार होता है और ऐसे सदस्यों की संख्या 20 से अधिक नहीं हो सकती जो कि भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जा सकते हैं.

वहीं सरकार वक्फ एक्ट में संशोधन बिल 5 अगस्त को संसद में पेश कर सकती है. मोदी सरकार में 5 अगस्त की तारीख विशेष महत्व रखती है. क्योंकि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का बिल संसद पेश किया गया था. इसके बाद 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन PM मोदी द्वारा किया गया था.  

बिहार में इसको लेकर सियासी घमासान तेज हो चुका है. जदयू राजद आमने सामने हैं.जदयू ने नीरज ने कहा कि बिहार सरकार ने वक्फ बोर्ट की संपत्ति का उपयोग गरीबों के लिए हीं होगा. राजद के मृत्यंजय ने कहा कि केंद्र का निशाना कहीं और है. 

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