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राज्यसभा में मोदी सरकार को अब पूर्ण बहुमत, वफ्फ बोर्ड संशोधन बिल सहित अब दूसरे बिल को पास कराने में नहीं होगी परेशानी

राज्यसभा में मोदी सरकार को अब पूर्ण बहुमत, वफ्फ बोर्ड संशोधन बिल सहित अब दूसरे बिल को पास कराने में नहीं होगी परेशानी

PATNA : राज्यसभा में एनडीए को बहुमत मिल गया है. 9 राज्यों की 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले ही सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं. ये सभी उम्मीदवार असम, बिहार और महाराष्ट्र की दो-दो सीटों पर और हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना व ओडिशा की एक-एक सीट पर जीते हैं. इनमें बीजेपी के 9, कांग्रेस का एक, एनसीपी (अजित पवार) का एक और राष्ट्रीय लोक मोर्चा का एक सदस्य निर्वाचित हुआ है. इसके साथ ही राज्यसभा में एनडीए का आंकड़ा मनोनीत और निर्दलीय सदस्यों के समर्थन के साथ बहुमत के आंकड़े को पार कर गया है.

दरअसल, असम में कामाख्या प्रसाद ताशा और सर्वानंद सोनोवाल, बिहार में मीसा भारती और विवेक ठाकुर, हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा, मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया, महाराष्ट्र से छत्रपति उदयन राजे भोसले, पीयूष वेदप्रकाश गोयल, राजस्थान से केसी वेणुगोपाल और त्रिपुरा से बिप्लब देव के लोकसभा सदस्य चुने जाने और तेलंगाना के केशव राव व ओडिशा की ममता मोहंता के इस्तीफे से 12 सीटें खाली हुई थीं. चुने गए निवर्तमान सदस्यों का कार्यकाल 2028 तक होगा.

12 सीटों पर निर्विरोध चुनाव के बाद अब राज्यसभा में बीजेपी की संख्या बढ़कर 96 हो गई है. वहीं एनडीए की संख्या की बात करें तो ये भी बढ़कर 112 हो गई है. 245 सदस्यों की राज्यसभा में अभी आठ सीटें और खाली हैं. इनमें चार जम्मू-कश्मीर की और चार मनोनीत सदस्यों की सीटें शामिल हैं. इस तरह राज्यसभा में वर्तमान में बहुमत का आंकड़ा 119 सदस्यों का है. एनडीए को छह मनोनीत और एक निर्दलीय का भी समर्थन प्राप्त है और इस तरह एनडीए बहुमत के आंकड़े को छू चुकी है.

जानकारों की मानें तो अब बीजेपी को राज्यसभा में कोई भी महत्वपूर्ण बिल पारित कराने के लिए  बीजेडी, वायएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना होगा. उधर, कांग्रेस की राज्यसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी भी सुरक्षित रहेगी. राज्यसभा में कांग्रेस की संख्या एक बढ़कर अब 27 हो गई है, जो कि नेता विपक्ष की कुर्सी के लिए जरूरी 25 सीटों से दो अधिक है.

राज्यसभा में सांसद चुने जाने की प्रक्रिया क्या? 

राज्यसभा के चुनाव में सभी राज्यों की विधानसभाओं के विधायक हिस्सा लेते हैं. इसमें विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं डालते. राज्यसभा चुनाव की वोटिंग का एक फॉर्मूला होता है. चयन प्रक्रिया को समझने के लिए आपको +1 का फॉर्मूला समझना जरूरी होगा. इस प्रक्रिया को समझने के लिए हम बिहार का उदाहरण लेते हैं. दरअसल, बिहार में जितनी राज्यसभा सीटें खाली हैं, उसमें 1 जोड़ा जाता है. फिर उसे कुल विधानसभा सीटों की संख्या से भाग दिया जाता है. इससे जो संख्या आती है, उसमें फिर 1 जोड़ दिया जाता है. 

इसे ऐसे समझिए, अगर बिहार में 10 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग होनी है. इसमें 1 जोड़ा जाएगा तो यह संख्या 11 हो जाएगी. अब विधानसभा सीटों की संख्या देखी जाएगी. बिहार में 243 विधायक हैं, तो इसमें 11 का भाग दिया जाएगा. ऐसे में संख्या 22.09 आएगी. इसे 22 माना जाएगा. अब इसमें 1 जोड़ा जाएगा तो संख्या 23 हो जाएगी. यानी राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 23 विधायकों के वोट की जरूरत होगी. राज्यसभा चुनाव के लिए सभी विधायक सभी उम्मीदवारों के लिए वोट नहीं करते हैं. एक विधायक एक ही बार वोट कर सकता है. उन्हें बताना पड़ता है कि पहली पसंद कौन है और दूसरी पंसद कौन है.

REPORT - DEPBANSHU PRABHAT

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