नई दिल्ली. मतदान में फर्जी मतदाताओं की बातें अक्सर सामने आती हैं. यानी एक ही व्यक्ति के नाम पर दो जगहों पर मतदाता पहचान पत्र रहना या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दूसरे के नाम पर मतदान कर देना. लेकिन अब मोदी सरकार के एक महत्वपूर्व फैसले से फर्जी मतदाताओं पर नकेल कस जाएगी.
चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आधार से वोटर कार्ड को जोड़ने की मांग की थी. अब मोदी कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. हालांकि आधार से वोटर कार्ड लिंक करना ऐच्छिक होगा न कि अनिवार्य. कैबिनेट से मंजूर इस प्रस्ताव को क्रियान्वित करने के लिए अब इसे संसद में विधेयक के रूप में पास कराना होगा. मौजूदा शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार इस विधेयक को अगर लाती है और संसद ने मुहर लगा दिया तो वोटर आईडी कार्ड को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. हालाँकि उसके लिए संसद से पास होने के बाद ही आगे यह कानूनी रूप अख्तियार कर सकता है.
चुनाव आयोग के अनुसार, आधार से वोटर कार्ड लिंक हो जाने पर वोटिंग फर्जीवाड़ा रोका जा सकता है. खासकर वैसे लोग जिन्होंने एक से अधिक जगह मतदाता सूची में नाम अंकित करा रखा है उन्हें सूचीबद्ध किया जा सकेगा. अगर कोई व्यक्ति अपना पता बदलता है तो आसानी से वह दूसरी जगह का मतदाता बन सकता है.
वहीं कैबिनेट ने इस बात को भी मंजूरी दे दी है कि अब साल में चार बार मतादाता सूची से नाम जुड़वा सकता है. 18 वर्ष की आयु वाले साल में 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को अपना नाम मतादाता सूची में जुड़वा सकते हैं. अब तक केवल 1 जनवरी को ही ऐसा होता था.