डेस्क:-अगर आप भी अपने बच्चों को रोता-धोता देखकर या उसे बिजी रखने और शांत रखने के लिए उन्हें स्मार्टफोन पकड़ा देते हैं तो अलर्ट होने की जरूरत है. स्मार्टफोन और 2 से 3 साल के बच्चों के बिहेवियर पर हुई कई वैज्ञानिकों की रिसर्च चौंकाने वाली है। शोधकर्ताओं का कहना है, बच्चों को फोन देने की आदत उन्हें गुस्सैल बना सकती है.
ऐसे हुई रिसर्च
वैज्ञानिकों का कहना है, स्मार्टफोन पर कार्टून देखने 2 से 3 साल के बच्चों के बिहेवियर पर नजर रखी गई. पेरेंट्स से भी यह पूछा गया कि उनके बच्चे स्मार्टफोन का कितना इस्तेमाल करते हैं. खाली समय में बच्चे टीवी, वीडियो गेम्स, टैबलेट्स और स्मार्टफोन में सबसे ज्यादा किसका और कितना देर इस्तेमाल करते है
रिसर्च के परिणामों ने चौंकाया
शोधकर्ताओं के मुताबिक, जिन बच्चों का गुस्सा रोकने के लिए पेरेंट्स ने गैजेट्स दिए गए थे, जब उनसे गैजेट वापस लिए गए तो गुस्सा पहले के मुकाबले और ज्यादा बढ़ गया. रिसर्च कहती है, लम्बे समय तक बच्चों में ऐसा बिहेवियर दिखने पर स्थिति और बिगड़ सकती है.
वैज्ञानिकों की सलाह, बच्चे को गैजेट्स से दूर रखें
शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि बच्चों को गैजेट्स दूर ही रखने की रणनीति बनाएं, ताकि किसी पब्लिक प्लेस पर बच्चे में गुस्सैल बिहेवियर न दिखे . बच्चों के इमोशंस को कंट्रोल करने के लिए फोन पर ऑडियो और वीडियो दिखाने से बचें क्यूंकि ज्यादा गैजेट्स की लत उनके उतावलेपन को बढ़ा देती है.
बच्चों को स्मार्टफोन कितना इस्तेमाल करने दें
चाइल्ड हेल्थ की गाइडलाइन कहती है, 18 महीने से कम उम्र के बच्चे को गैजेट्स देने से बचें . 2 से 5 साल के बच्चे को एक दिन में एक घंटे से ज्यादा गैजेट्स का इस्तेमाल न करने दें. बच्चे क्या किस किस्म की चीजें देख रहे हैं पेरेंट्स को इसका ध्यान रखना चाहिए. उन्हें खाना खाते समय और सफर करते समय गैजेट्स से दूर ही रखें. वैसे भी विज्ञान ने तो तरक्की कर ली है लेकिन इसके दुष्परिणाम भी काफी देखने को मिल रहे है .