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भक्त के बुलाने पर कामाख्या से गोपालगंज पहुंची माँ, जानिए क्या है थावे मंदिर की मान्यता

भक्त के बुलाने पर कामाख्या से गोपालगंज पहुंची माँ, जानिए क्या है थावे मंदिर की मान्यता

GOPALGANJ : पवित्र चैत्र नवरात्र की आज से शुरुआत हो गयी है। जिसमें नौ दिनों तक माँ के अलग अलग रूप की पूजा की जाती है। ऐसे में गोपालगंज जिले के सुप्रसिद्ध थावे वाली माता के मंदिर को कौन नहीं जानता। इस मंदिर की मान्यता है कि मां अपने भक्त रहषु के लिए असम के कामाख्या से थावे आईं और साक्षात दर्शन दिए। थावे माता के मंदिर को सिद्धपीठ माना जाता है। कोरोना के दो साल बाद चैत्र नवरात्रि का यह पहला मौका है जहाँ भक्त माँ का दर्शन कर रहे है। 

थावे महोत्सव भी इस बार मनाया जायेगा। नवरात्रि के 9 दिनों तक यहां भक्तों की काफी भीड़ रहेगी। लिहाजा जिला प्रशासन ने माता के चरण स्पर्श पर रोक लगा दी है। नवरात्रि के नौ दिनों तक यहां विशेष पूजा अर्चना होगी। वहीं वीआइपी के दर्शन पर भी इस बार रोक लगा दी गई है। थावे मंदिर की मान्यता है कि हथुआ के राजा मनन सिंह खुद को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। उन्हें गर्व था कि उनसे बड़ा कोई मां का भक्त नहीं है। थावे के जिद्दी राजा मनन सिंह के हठ पर माता के परम भक्त रहषु भगत के बुलाने पर मां असम के कामाख्या से आईं और कोलकाता, पटना और आमी होते हुए थावे पहुंची।

रहषु का मस्तक चीर कर माता ने राजा को कंगन दिखाया। जिसके बाद राजा के सभी भवन गिर गए और इसके बाद राजा मर गया। यह सिद्धपीठ माना जाता है। जो भी सच्चे मन से माता के दरबार में हाजिरी लगाता है, उसके मनोकामना पूरी हो जाती है। मंदिर में भक्त माता को लड़ू, पेड़ा, नारियल और चुनरी चढ़ाते हैं। थावे मंदिर में नेपाल, बंगाल, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए रेलवे ने देवी हॉल्ट पर ट्रेनों का ठहराव किया है। वहीं सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर मजिस्ट्रेट के साथ महिला पुलिस बलों की तैनाती कर दी गयी है।

गोपालगंज से मनान अहमद की रिपोर्ट 

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