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मोतिहारी का एक परिवार पूरे कुनबे के साथ दिल्ली से तीन रिक्शे पर निकल पड़ा....आखिर करता भी तो क्या?

मोतिहारी का एक परिवार पूरे कुनबे के साथ दिल्ली से तीन रिक्शे पर निकल पड़ा....आखिर करता भी तो क्या?

DESK: देश में कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन लागू कर दिया गया है।आज लॉक डाउन का दूसरा दिन है।लॉक डाउ की वजह परदेस में काम कर रहे गरीबों-मजदूरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।वे करें तो क्या करें,समझ में नहीं आ रहा।परदेस से घर आयें तो कैसे,आने की तो कोई साधन हीं नहीं है।

लिहाजा परदेस कमाने वाले लोग सड़क पर आ गए हैं.रोजी-रोटी के लिए घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर रहने वाले हजारों मजदूरों के सामने विकट घड़ी सामने है।दिल्ली की सड़कों पर रह नहीं सकते और घऱ लौटने के लिए कोई साधन नहीं है।ऐसे में मजदूरों के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई की स्थिति है।मरता क्या न करता, जैसे तैसे घऱ वापसी के लिए लोग चल पड़े हैं.कोई पैदल हीं हजारो किमी दूरी तय करने के लिए निकल पड़ा है तो कोई साइकिल और रिक्शा से। 

मोतिहारी का परिवार पूरे कुनबे के साथ रिक्शा से निकल पड़ा

मोतिहारी जिले का हरेंदर महतो पूरे कुनबे को लेकर दिल्ली से मोतिहारी के लिए चल पड़े हैं.तीन रिक्शों पर अपने परिवार के सदस्यों और सामान को लादकर चल पड़े हैं. पांच लोगों की जिंदगी की समूची गृहस्थी तीन रिक्शों पर सिमट गई है. 

दिल्ली में काम नहीं और रहने के लिए कोई जगह नहीं।ऐसे में हरेन्दर महतो करता क्या,वह क्या खाता और क्या अपने परिवार को खिलाता,लिहाजा उसने घऱ वापसी का निर्णय लिया।परिवार तीन रिक्शों पर दिल्ली से मोतिहारी के लिए रवाना हो गया है।हरेन्दर कहते हैं कि वे क्या कर सकते हैं.आखिर चारा क्या है.....कहते हैं कि रिक्शा चलता रहा तो पांच से सात दिन लग हीं जायेंगे और अगर रोक लिया तो तो फिर ?

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