MOTIHARI : मोतिहारी के महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी जमीन घोटाला में मास्टरमाइंड सोमवार को हवालात पहुंच गया। अब चर्चा है कि इस मामले में बड़े अधिकारी पर भी गाज गिर सकती है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। मास्टरमाइंड राजस्व कर्मचारी उमेश सिंह सहित दो कर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। मास्टर माइंड उमेश सिंह से लगातार दो दिनों से पूछताछ चल रही थी। पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए। पुलिस को इस मामले में एक बड़ा ब्रेक थ्रू मिला है।
पूछताछ में हुए कई अहम खुलासे
आरोपी जयकिशुन तिवारी को पुलिस ने तीन दिनों के रिमांड पर लिया था। इसके बाद उमेश सिंह और दो अन्य कर्मचारी को जयकिशुन के सामने बिठाकर पूछताछ की गयी। पूछताछ में सबकुछ साफ हो गया। इसके बाद उमेश सिंह और पूर्व प्रधान लिपिक शारदानंद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
आरोपी जयकिशुन ने किया था खुलासा
पूरे फर्जीवाड़े में जिस शख्स जयकिशुन तिवारी पर सारा दोष मढ़ा जा रहा है उसने सोमवार को कोर्ट में समर्पण कर दिया। समर्पण के बाद उसने पूरे मामले पर अधिकारियों की पोल खोल दी थी। उसने स्वीकार किया कि वो इस मामले में एक प्यादा भर है। असली खिलाड़ी को तो पूरे मामले में बचाया जा रहा है। इस फर्जीवाड़े में जिले के बड़े अधिकारी एडीएम कुमार मंगलम और जिला भू-अर्जन अधिकारी शामिल हैं। इसके अलावे भू-अर्जन विभाग का प्रधान सहायक और एक लिपिक उमेश सिंह की भूमिका भी है।
डीएम ने अलग से बनाई थी जांच टीम
मोतिहारी के डीएम ने इस पूरे मामले के लिए एक अलग से जांच टीम बनाई थी। जांच टीम में शामिल अधिकारियों ने पाया कि भू-अर्जन विभाग के कई कर्मचारी और देना बैंक के शाखा प्रबंधक और कैशियर की भी मिलीभगत है। साथ ही एक बड़े अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गये हैं।
न्यूज4नेशन पर चली खबर, हरकत में आए अधिकारी
बता दें कि इसके पहले न्यूज4नेशन पर महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में फर्जीवाड़े की खबर चली थी, जिसपर आलाधिकारी हरकत में आए थे और जांच की गति को बढ़ाया गया था। इसी क्रम में कई गिरफ्तारियां भी हुईं थीं। अधिकारी-माफिया गठजोड़ ने बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा कर सरकारी राशि का बंदरबांट किया था। मोतिहारी के महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के जमीन अधिग्रहण में करोड़ों का वारा-न्यारा हुआ है।
क्या है पूरा मामला
केंद्रीय विवि के जमीन अधिग्रहण में फर्जी तरीके से तीन करोड़ पांच लाख रुपये की निकासी कर ली गयी थी। निकासी जयकिशुन तिवारी पर लगा था। इसी के खाते में जालसाजी का एक करोड़ 30 लाख और रक्सौल के रहनेवाले अरविन्द सिंह के खाते में पैसा ट्रान्सफर किया गया। जांच में यह पता चला कि फर्जी तरीके से जमीन के दस्तावेज और लगान रशीद बनवाए गए। मामले के खुलासे के बाद भू-अर्जन पदाधिकारी अजीत कुमार ने जालसाज सुकदेव साह, जयकिशुन तिवारी और अरविन्द सिंह को नामजद करते हुए नगर थाना में 25 नवम्बर को प्राथमिकी दर्ज करायी थी।