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तेजस्वी यादव को ज्ञान का आतंक फैलाने से पहले पिता लालू प्रसाद से पूछना चाहिए कि बिहार के लोग पलायन को क्यों हुए मजबूर?

तेजस्वी यादव को ज्ञान का आतंक फैलाने से पहले पिता लालू प्रसाद से पूछना चाहिए कि बिहार के लोग पलायन को क्यों हुए मजबूर?

PATNA : लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता व मुंगेर सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह राजद समेत प्रदेश के सभी विपक्षी दलों पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष समेत अन्य विपक्षी दलों द्वारा प्रदेश की नीतीश सरकार किए जा रहे हमले पर पलटवार करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्टत शब्दों में कहा है कि दूसरों राज्यों से बिहार वापस लौटे प्रत्येक श्रमिक/कामगार को उसके स्किल के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराएंगे, यह हमारा दायित्व है और हमें इसका अहसास है जिसे हम पूर्ण करेंगे। 

उन्होंन कहा है कि विपक्ष सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में सिमटकर रह गया है, जनसरोकार से इसका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं और हो भी कैसे आखिर इनके माता पिता के कार्यकाल में ही तो बिहार के विनाश की पटकथा लिखी गई थी।ललन सिंह ने कहा है कि तेजस्वी यादव को ज्ञान का आतंक फैलाने से पहले रांची जाकर अपने पिता से यह पूछना चाहिए कि आखिर हमारे लोग पलायन को मजबूर क्यों हुए थे, रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में जाने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी, आपने अपने शासनकाल में बिहार की कितनी फैक्ट्रियों को बंद करवाया, कितने जूट और शूगर मिल बंद करवाया। फिर पटना लौटकर अपनी माता से भी यही सवाल दुहराना चाहिए कि आखिर बिहार में फैक्ट्रियों को बंद करने में आपका क्या योगदान रहा।


उन्होंने कहा है कि लालू-राबड़ी शासनकाल में रोजगार के अभाव में श्रमिक तबका पलायन का शिकार हुआ, क्योंकि इनकी कारगुजारियों से यहां फांकाकशी से जूझ रहे थे। अब ये लोग वापस लौटकर आए हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब उनको कहीं जाने की जरूरत नहीं, हम रोजगार उत्पन्न करेंगे, यदि उनकी इच्छा है तो यहीं उनको रोजगार दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव क्वरंटाइन सेंटर का अवलोकन किए बिना खाली फेसबुक पर चिल्लपों करते रहते हैं, कभी घुमें तब तो पता चले कि आखिर बिहार के क्वरंटाइन सेंटर कितना सुव्यवस्थित तरीक़े से संचालित है। मुख्यमंत्री ने स्वयं वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से हर जिले के क्वरंटाइन सेंटरों पर रहने, खाने, शौच वगैरह एक एक चीज का गहन निरीक्षण किया है। 

बिहार के क्वरंटाइन सेंटरों पर उपलब्ध कराए गए व्यवस्था को इससे बेहतर समझा जा सकता है कि विभिन्न राज्यों ने इसकी सराहना की है, शायद ही किसी अन्य प्रदेश में ऐसी समुचित व्यवस्था हो। मुख्यमंत्री जी ने बार बार कहा है कि राजकोष पर सबसे पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है, अभी क्वरंटाइन सेंटरों पर प्रति व्यक्ति किए जा रहे खर्च की भी विस्तृत जानकारी उन्होंने दी है।सांसद ने कहा कि जब 2008 में कोशी में आपदा आई थी उस समय भी विपक्ष ने इसी तरह सिर्फ आरोप मढ़ने का ही काम किया था और जब चुनाव परिणाम आया तो कोशी प्रक्षेत्र में इनका सूपड़ा साफ हो गया था फिर वही दुहराएगा, हम काम कर रहे हैं और विपक्ष सिर्फ आरोप मढ़ रहा है। विपक्ष की हालत बरसाती मेढ़क की तरह है, चुनाव का समय आ रहा है, फुदकेंगे फिर हाइबरनेशन में चले जाएंगे।

बता दें बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत सभी विपक्षी दल इनदिनों प्रदेश की नीतीश सरकार पर प्रवासी मजदूरों के बहाने हमलावर है। तेजस्वी यादव ने बिहार से श्रमिकों के पलायन के लिए नीतीश सरकार को जिम्मेवार बताया है। वहीं अब वे सरकार से बार-बार यह सवाल कर रहे है कि कोरोना काल में बिहार लौटे प्रवासी श्रमिकों के रोजगार के लिए सरकार क्या उपाय कर रही है। 

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