N4N DESK : उत्तर बिहार की राजधानी कहे जाने वाला मुजफ्फरपुर क्राइम का रेड ज़ोन बन चूका है. यह हम नहीं कहा रहे बल्कि मुजफ्फरपुर में अपराध के आंकड़े यह हकीकत बयाँ कर रहे हैं. मुजफ्फरपुर जिले के अन्दर इस साल जनवरी से अबतक हुई अपराधिक घटनाएँ बता रहीं की कैसे उत्तर बिहार का खास शहर क्राइम के रेड ज़ोन में बदल गया है.
मुजफ्फरपुर के लिए साल 2018
इस साल मुजफ्फरपुर के माथे पर कलंक का सबसे बड़ा टिका बालिका गृह कांड ने लगाया. इस सनसनीखेज काण्ड की वजह से देश भर में मुजफ्फ्फ्रपुर की बदनामी हुई. हालाँकि साल की शुरुआत से ही जिले में अपराधिक घटनाओं की बाढ़ रही लेकिन पूर्व मेयर समीर कुमार को अपराधियों ने जिस तरह बिच सड़क पर AK-47 से भूनकर हत्या कर दी उसके बाद देश की नजरें एकबार फिर से मुजफ्फरपुर पर आ टिकीं हैं. यूँ तो पुरे बिहार में अपराधिक घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन मुजफ्फरपुर जिले में अपराध का आंकड़ा चौकाने वाला है. मुजफ्फरपुर किस तरह क्राइम रेड बन चूका है इसकी तस्दीक बिहार पुलिस की अधिकारिक वेबसाइट के आंकड़े कजर रहे हैं. इस साल जनवरी से लेकर जून तक के आंकड़े बिहार पुलिउस की वेबसाईट पर उपलब्ध है. साल के शुरूआती छः महीने में ही मुजफ्फरपुर में 57 लोगों की हत्या हो चुकी थी. आंकड़े बताते हैं की मुजफ्फरपुर में हर महीने औसतन दस हटायें हो रही हैं. जून तक के आंकड़े बता रहे की अपराधियों ने बैंक लूट की दो बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है. एक घटना कैश वैन से लूट की भी हो चुकी है. जिले के सभी थानों में दर्ज़ मामलों को देखे तो जनवरी में आंकड़ा में अपराध का आंकड़ा जहाँ 821 था, वहीँ जून में यह बढ़कर 1335 पर पहुंच गया. हत्या और लूट के अलावे जिले के अंदर अपहरण, डकैती के साथ-साथ रेप की घटनाएँ भी कम नहीं हुईं हैं.
पुलिस का कंट्रोल नहीं
सबसे हैरत की बात यह है की अपराधिक घटनाओं में बेतहाशा इजाफे के बावजूद पुलिस क्राइम कंट्रोल करने में नाकाम साबित हुई है. जिले के अन्दर पुलिस में तैनात अधिकारी बताते हैं की मुजफ्फरपुर के पूर्व एसपी विवेक कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार की कार्यवाई होने के बाद खाकी का मनोबल गिरा हुआ है. मुजफ्फरपुर पुलिस के निकम्मेपन को लेकर स्थानीय लोगों में भरी नाराजगी है. हालाँकि थोड़े दिन पहले ही कार्यभार सँभालने वाली जिले की नई एसपी हरप्रीत कौर यह दावा जरुर करती हैं की पुलिस ने कई अपराधिक घटनाओं में शामिल अपराधियों को दबोचा है. लेकिन हकिकर दावों से अलग दिखती है. जानकार बताते हैं की शराब और भू-माफिया के लिए वर्क स्टेशन बन चूका मुजफ्फरपुर क्राइम का रेड ज़ोन बन चूका है. जमीन के कारोबार से लेकर सरकारी काम के टेंडर तक में अपराधी गिरोह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं. पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती संगठित अपराध का नेटवर्क बना कर काम करने वाले अपराधी हैं जो घटनाओं को खुद अंजाम देने की बजाय सुपारी क्राइम का इस्तेमाल कर रहे हैं.