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एक्शन सीक्वेंस और दमदार डायलॉग से सजी मसाला मूवी है 'मुम्बई सागा'

एक्शन सीक्वेंस और दमदार डायलॉग से सजी मसाला मूवी है 'मुम्बई सागा'

डेस्क:-शूटआउट एट लोखंडवाला, शूटआउट एट वडाला के बाद निर्देशक संजय गुप्ता एक बार फिर 80 और 90 दशक की मुम्बई की क्राइम पृष्ठभूमि को लेकर  क्राइम ड्रामा फिल्म मुम्बई सागा को दर्शक के बीच पड़ोसेंगें ।फ़िल्म में कुछ फैक्ट है तो कुछ फिक्शन. यह फ़िल्म मूल रूप से अंडरवर्ल्ड के भाइयों अश्विन नाइक और अमर नाइक से प्रेरित है फिक्शन में उनकी कहानी के साथ खूब सारा ड्रामा, सस्पेंस, एक्शन और डायलॉग बाज़ी जोड़ दिया गया है लेकिन फ़िल्म में नयापन कुछ भी नहीं है. राम गोपाल वर्मा से संजय गुप्ता की मुम्बई क्राइम ड्रामा फिल्मों में ये सब पहले ही देख चुके हैं. फ़िल्म के दृश्य घिसे पिटे से हैं जो दर्शकों को बांधने में पूरी तरह फेल है.नए बोतल में पुरानी शराब की कहावत को चरितार्थ फ़िल्म की कहानी करती है.अमर्त्य राव (जॉन अब्राहम) रेलवे स्टेशन पर सब्जी बेचता है और मुंबई पर गैंगस्टर गायतोंडे (अमोल गुप्ते)का राज है. वो सभी से हफ्ता वसूलता है. अमर्त्य भी चुपचाप हफ्ता देता है लेकिन एक दिन कहानी तब बदल जाती है जब हफ्ता वसूलने वाले गायतोंडे के आदमियों को अमर्त्य का छोटा भाई हफ्ता देने से इनकार कर देता है.

जिसकी वजह से गायतोंडे के लोग उसको मार मारकर अधमरा कर देते हैं. जिसके बाद अमर्त्य राव प्रतिशोध लेने की सोचता है. वो अपने भाई का बदला लेना चाहता और गायतोंडे को जान से मार देना चाहता है. इसमें उसका साथ नेता भाऊ (महेश मांजरेकर) देता है. यह किरदार बहुत हद तक बाल ठाकरे से प्रेरित है. भाऊ की छत्रछाया में अमर्त्य मुम्बई पर राज करने लगता है. तमाम गैंगस्टर ड्रामा की फिल्मों की तरह यहां भी एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट (इमरान हाशमी) है. जिसका मकसद अमर्त्य के गैंग को खत्म करना है.उसके बाद चोर पुलिस या यूँ कहे चूहा-बिल्ली का खेल शुरू हो जाता है. क्या होगी आगे की कहानी यह सस्पेंस है.

कहानी में नयापन कुछ भी नहीं है.कहानी से ज़्यादा एक्शन सीक्वेंस और संवाद अदायगी पर फोकस किया गया है. फ़िल्म को आज के समय के लिहाज से बिल्कुल भी बनाने की कोशिश नहीं की गयी है.सिर्फ हनी सिंह के गाने रखने से फ़िल्म आज के दौर के दर्शकों के लिए नहीं बन जाएगी.ये निर्देशक और कहानीकार को सोचने की ज़रूरत थी.

ऐसे में दर्शक इस क्राइम थ्रिलर फिल्म को कितना चाहती है और उसे कितना पसंद करती है यह तो दर्शक ही जाने.

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