मुंगेर : कतर से लौटे मुंगेर के जिस सैफ ने बिहार में कोरोना चेन बनाया, एक अकेले शख्स ने 11 लोगों को संक्रमित कर दिया. सैफ की वजह से ही नेशनल अस्पताल के जिस कर्मी में कोरोना वायरस पॉजेटिव मिला उसके बगल में रहने वाली बच्ची की मौत की मौत से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है.
कोरोना के थे सारे लक्षण
मुंगेर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण लोगों की जान संसत में हैं. स्वास्थ विभाग नेकोरोना संदिग्ध बच्ची की मौत के बाद भी उसका कोरोना टेस्ट नहीं करवाया, बच्ची की मौत के मामले ने जब तूल पकड़ातो मेडिकल टीम ने आनन-फानन में बच्ची की लाश को दफना दिया. स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासनकी इस लापरवाही को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है कि मृत बच्चीकोरोना पीड़ित सैफ की पड़ोस की रहने वाली है. बच्ची के घर वालों का कहन है कि बच्ची में कोरोना के साफ लक्षण दिख रहे थे, घर वालों का कहना है कि बच्ची को खांसी, जुकाम और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी तब भी डॉक्टरों ने कोरोना टेस्ट नहीं करवाया और बच्ची की मौत हो गई.
जानकारी के अनुसार बच्ची की अचानक तबियत खराब होने पर उसके पिता ने उसे ठेला पर लादकर सदर अस्पताल पहुंचे. बच्ची को सर्दी, खांसी, बुखार के साथ ही सांस लेने में तकलीफ थी. ड्यूटी पर तैनात डॉ के रंजन ने उसका इलाज किया और उसे अस्पताल में रोक लिया. लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं होने पर चिकित्सक ने उसे बेहतर इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया. लेकिन बच्ची के पिता का कहना है कि काफी गरीब है और वह उस स्थिति में नहीं है बाहर जाकर उसका इलाज करवा सके. उसे आठ-आठ बच्चा है इसलिए वह बाहर जाने से इंकार कर दिया. उसी दिन शाम 7 बजे वह ठेला पर बच्ची को लाद कर वापस लेकर अपने घर चला गया. लेकिन रात लगभग 9 बजे बच्ची की मौत हो गयी.
दफनाने की इतनी जल्दी क्यों थी मेडिकल टीम को
कोरोना पीड़ित के बगलगीर बच्ची की मौत के बाद उस गली में लोगों के बीच खलबली मच गयी. कोई भी व्यक्ति उसके घर तक नहीं गया. लोगों में भय था कि कहीं बच्ची की मौत कोरोना वायरस से तो नहीं हुआ है. इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग व पुलिस प्रशासन को दिया गया. जिसके बाद प्रशासनिक महकमा में भी खलबली मच गयी. मंगलवार की सुबह मेडिकल टीम उक्त व्यक्ति के घर पहुंची. लेकिन बच्ची का न तो पोस्टमार्टम कराया गया और न ही बच्ची के लक्ष्ण को देखते हुए उसका कोरोना का टेस्ट करवाने की जहमत उठाई आनन-फानन में तीन सदस्यीय मेडिकल टीम ने अच्छी तरह से मेडिकेट कर बच्ची को कब्रिस्तान में दफना दिया.
जानकारी के अनुसारकि नेशनल अस्पताल के जिस कर्मी में कोरोना वायरस पॉजिटिव मिला है. उसी गली में वह बच्ची भी रहती थी. लोगों की माने तो कोरोना पीड़ित व्यक्ति ने भी उसके पिता के ठेला को कई बार प्रयोग में लाया था. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस ओर ध्यान नहीं देकर सीधे बच्ची को मेडिकल टीम गठित कर दफना दिया.
सदर अस्पताल केंअस्पताल के सीएसपुरोषत्तम कुमारने बताया कि जब बच्ची का मेडिकल हिस्ट्री देखा गया तो बच्ची पिछले एक माह से बीमार थी. दुकान से दवा खरीद कर उसे उसके परिजन दे रहे थे. उसे खांसी, सर्दी व बुखार था. जब सोमवार को उसकी तबीयत खराब हुई तो उसे परिजन के द्वाराअस्पताल लाया था. उसे बाहर बेहतर इलाज के लिए भेजा जा रहा था. लेकिन परिजन उसबच्ची को घर लेकर चला गया. जहां रात में उसकी मौत हो गयी. बच्ची में कहीं से भी कोरोना वायरस का लक्षण नहीं था. फिर भी ऐतिहात बरतने को लेकर उक्त बच्ची को पुरेमेडिकल तैयारी के साथ दफन कर दिया गया।