राम तुम्हारा नाम कंठ में रहे
हृदय जो कुछ भेजो वह सहे,
दुख से त्राण नहीं मांगू।
मांगू केवल शक्ति दुःख सहने की
दुर्दिन को भी मान तुम्हारी दया,
अकातर ध्यानमग्न रहने की।
PATNA : उपरोक्त पंक्तियां साहित्य के विद्रोही नक्षत्र के महनीय सितारा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की है। जनकवि और राष्ट्रकवि दोनों ही विशेषण से विभूषित रामधारी सिंह दिनकर के दिल मे जहाँ वीर रस की धारा बहती थी वहीं दिमाग में किसानों के दर्द की करुणा का तूफान भी । भगवान राम के चरित्र के प्रति अतिसंवेदनशील राष्ट्रकवि विपरीत परिस्थितियों में मर्यादा पुरुषोत्तम पर अवलम्बित हो जाते थे। परशुराम की प्रतीक्षा के अठारहवें अध्याय एनार्की में देश की दुर्दशा से व्यथित दिनकर लिख उठते हैं...
राम जाने भीतर क्या बल है
तो पर भी देश रहा चल है।
वहीं जब जनकवि के तौर पर दिनकर का दिल और दिमाग विद्रोह की ज्वाला से धधक उठता है तब उनकी कलम भगवान राम से विद्रोह की भाषा में संवाद करती है। उनके द्वारा रचित राम, तुम्हारा नाम कविता के इन पंक्तियों को देखिये...
राम तुम्हारा नाम कंठ में रहे
हृदय जो कुछ भेजो वह सहे,
दुख से त्राण नहीं मांगू।
यथास्थिति को भगवान राम का उपहार मानकर जीवन के मझधार में शब्दों की धार के सहारे क्रांति की धारा पैदा करने वाले दिनकर की जन्मभूमि सिमरिया घाट अद्भुुत महासंयोग का गवाह बनने जा रहा है, जहां गंगा के पावन तट पर दिनकर की आत्मा की उपस्थिति में रामचरित मानस के अमृत रस की अविरल धारा आज के तुलसी मुरारी बापू बहाएंगे। वहीं साहित्य महाकुंभ के मंच से देश विदेश के नामचीन साहित्यकार साहित्यिक संवेदना के सुरीले तान से धर्म के मर्म, जीवन के कर्म व संस्कृति में आई विकृति को समझाएंगे। साथ ही मौका होगा वर्षो पूर्व साहित्यिक गंगा की धारा को धार देकर सत्ता और साम्राज्यवादी नीतियों पर प्रहार करनेवाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को जानने और समझने की ।
1 से 9 दिसंबर तक विराट आयोजन
राष्ट्रकवि के भगवान राम में अनुराग का प्रतिफल ही है कि उनके प्रयाण के 44 साल बाद उनकी जन्मभूमि सिमरिया घाट पर रामकथा का ठाठ सजने वाला है । गौरतलब है कि यह एक ऐसी रामकथा होगी जहां साहित्य महाकुंभ का मिजाज भी अपने उफान पर होगा। इस आयोजन की खूबी यह है कि भक्ति और साहित्य की धारा एक साथ बहेगी । 1 दिसंबर से 9 दिसंबर तक चलने वाले समारोह में पूर्वाह्न में सुप्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू द्वारा रामकथा तथा अपराह्न में साहित्य महाकुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। साहित्य महाकुम्भ में साहित्य सत्र एवं सांस्कृतिक ओलम्पिक का आयोजन किया जाएगा। साहित्य महाकुंभ में विश्व के 167 देशों के एनआरआई साहित्यकार, पत्रकार और धर्मावलंबी भाग लेंगे। देश भर के धर्म, साहित्य और सांस्कृति से जुड़े लोग इसमें मौजूद रहेंगे। आयोजन में भारतीय संस्कृति पर विश्व के कई देशों के संस्कृति प्रेमी अपनी कला का प्रदर्शन कर अभिराम छटा बिखेरेंगें।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर ग्राम प्रतिनिधि तक को निमंत्रण
साहित्य महाकुंभ में हिन्दु, मुस्लिम, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के संत और अनुयायी शामिल होंगे। भारत के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, देश के सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधि (पंचायत स्तर तक) एवं सभी संवैधानिक पदों पर आसीन गणमान्य व्यक्ति को निमंत्रित किया गया है। राम कथा और साहित्य महाकुंभ में करीब 1 करोड़ लोगों के पहुंचने का अनुमान किया जा रहा है। इसको लेकर 1 करोड़ लोगों के लिए प्रसाद की व्यवस्था की जा रही है।