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पटना में हर जगह हत्या-गोलीबारी: अगस्त में 16 मर्डर, मर्डर के बाद खोखा चुनने आती है राजधानी की तेजतर्रार पुलिस

पटना में हर जगह हत्या-गोलीबारी: अगस्त में 16 मर्डर, मर्डर के बाद खोखा चुनने आती है राजधानी की तेजतर्रार पुलिस

PATNA : 12 दिन और 16 हत्या की घटना। यह आंकड़ा है राजधानी पटना और उसके आसपास इलाकों में हुई हत्याओं का लेखाजोखा। जो बताता है कि बिहार की राजधानी में तेजतर्रार पुलिस का खौफ किस तरह अपराधियों के बीच खत्म हो चुका है। इस दौरान अपराधी तो नहीं पकड़े गये, लेकिन अपनी जिम्मेदारी पूरी करते हुए पटना पुलिस घटना के बाद सीसीटीवी फुटेज और गोलियों के खोखे इकट्ठा करने जरुर पहुंच गई। 

नाम के लिए तेज तर्रार पटना पुलिस

जिस तरह सिर्फ अगस्त माह में 12 दिन में 16 हत्यायों की घटना को अंजाम दिया गया है, यह कहना गलत नहीं होगा कि पटना पुलिस अब नाम के लिए ही तेजतर्रार रह गई है। जो हत्याएं हुई, उनमें ज्यादातर सबके सामने लोगों के बीच किए गए। खास बात यह है कि हत्या, फायरिंग, लूट और चाकूबाजी करने के बाद एक भी अपराधी घटना के बाद फौरन नहीं पकड़े गए। चाहे बिहटा में 10 अगस्त को बीच बाजार आभूषण कोराबारी की लूटपाट के दौरान हत्या करने की बात हो या फिर गुरुवार को बेउर में सुबह में टहलने के लिए ट्रांसपोर्टर की गोलियों से छलनी करने की बात हो। अपराधी आराम से बाइक से फरार हो गए और पुलिस देखती रह गई।

गोलियों का खोखा चुनने में व्यस्त

बात दीगर है कि सूचना मिलने के बाद पुलिस माैके वारदात पर पहुंची और मामले की छानबीन की।हत्या और गाेलीबारी के बाद पुलिस सीसीटीवी कैमरे खंगालने और खोखा चुनने में जुट गई।

पिछले माह के बराबर पहुंचे

अपराध के बढ़ते ग्राफ का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जुलाई माह में औसतन दो दिन पर एक हत्या की घटना सामने आती थी, वहीं अगस्त में सिर्फ 12 दिन में 16 लोगों की हत्या हो चुकी है। औसतन हर दिन 1 से ज्यादा मर्डर। जो साफ बताता है कि पटना पुलिस अपराधियों पर लगाम लगाने में किस तरह फेल साबित हो रही है। यह सिर्फ हत्या की घटना है। अगर इसमें लूटपाट की दूसरी घटना को शामिल कर दिया जाए तो आंकड़े और बढ़ सकते हैं। 

पुलिस गश्ती पर सवाल
 हत्या समेत अन्य वारदातों को अंजाम देने के बाद अपराधी के फरार हो जाने से पुलिस की गश्ती पर सवाल उठने लगे हैं। भले ही एसएसपी व अन्य अधिकारी थानेदारों को गश्ती तेज करने का आदेश देते रहें पर इसका असर नहीं दिखता है। पुलिस की चेकिंग केवल जुर्माना वसलूने के लिए करती है। ताकि सरकारी राजस्व में इजाफा हो सके।

12 दिन में पटना में हुई अपराधिक घटनाएं

एक अगस्त – 1. जानीपुर में बुजुर्ग की हत्या, 2. परसा में आटा चालक की हत्या, 3. बहादुरपुर में हॉस्टल में कुक का कत्ल।

दो अगस्त – 1. बेउर में गोलीबारी, 2. कदमकुआ में रिक्शाचालक की हत्या।

पांच अगस्त – 1. दानापुर में युवक की हत्या 

छह अगस्त – 1. खेमनी चक में मजदूर की हत्या, 2. मनेर में दिव्यांग का कत्ल  3. बिहटा में दवा कारोबारी को गोली मार किया घायल

सात अगस्त – 1. धनरुआ में युवक की हत्या, 2. दहेज के लिए बहादुरपुर में महिला की हत्या, 3. बाढ़ के भदौर के बकमा में कुख्यात को मारी 16 गोली, जान बच गई।

आठ अगस्त – 1. धनरुआ के बांस बिगहा में युवक की हत्या। 

नौ अगस्त - रानीतालब में पीट-पीटकर अधेड़ को मार डाला। 

दस अगस्त - 1. मोकामा के मराची में जीविका दीदी को घर में घुसकर जिंदा जलाया, 2. बिहटा में लूटपाट के दौरान आभूषण कारोबारी की गोली मार हत्या। 

11 अगस्त - मोकामा के कसहा दियारा में एक की हत्या, 2. सालिमपुर के सम्मतपुर में किसान की हत्या।

12 अगस्त – 1. बेउर में ट्रांसपोर्टर की हत्या


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