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चमकी बुखार ने नोच डाला केंद्र और बिहार सरकार के स्वास्थ्य सेवा के चेहरे से नकाब...

चमकी बुखार ने नोच डाला केंद्र और बिहार सरकार के स्वास्थ्य सेवा के चेहरे से नकाब...

PATNA : चमकी बुखार प्रतिदिन दर्ज़नो बच्चों को  अपना निवाला बनाने में जुटा है। वहीं सरकार बयान और फरमान में मस्त है। अलबत्ता मीडिया को देखकर खासकर सत्ताधारी नेताओं को तो मानो सांप सूंघ जा रहा है।  चमकी ने नीतीश कुमार से लेकर सुशील मोदी तक की हेंकड़ी भुला दी है।

संवेदनहीनता की हद देखिये की इस महामारी के दस्तक देने से पहले जागरूकता का कोई कदम सरकार की तरफ से नहीं उठाया गया। इतना ही नहीं हद तो तब हो गई जब बच्चों की मौत होनी शुरू हो गयी थी और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे मौज करने विदेश चले गए,मानो ये नहीं जाते तो पहाड़ टूट पड़ता। उससे भी ज्यादा शर्मनाक रवैया तब देखा गया जब चमकी बुखार को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पटना में बैठक गम्भीर बैठक कर रहे थे और उसी दौरान माननीय मंगल पांडे जी बड़े बेशर्मी से क्रिकेट मैच का स्कोर पूछने लगे।

जब तकरीबन 50 से अधिक बच्चे काल का ग्रास बन चुके तब जाकर केंद्र की नींद टूटी लेकिन माननीय मुख्यमंत्री मौत के शतक का इंतजार करते हुए चिंता जाहिर करने में लगे रहे। 

बता दें कि वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन 2014 में भी 380 बच्चों की मौत पर मातमपुर्सी करने मुजफ्फरपुर आये थे और बड़ी बड़ी बातें भी की थी। लेकिन जरा गैरजिम्मेदारी का इंतहा देखिये, 100 बच्चों की मौत के बाद पुनः आये स्वास्थ्य मंत्री जनता को यह भरोसा नहीं दे पाए कि आखिर मौत की वजह क्या है और सरकार कौन सा ठोस कदम उठाने जा रही है। इसी तरह नीतीश जी भी मुजफ्फरपुर पहुंचे। इनके पास भी कोई जबाव नहीं था और आज भी नहीं है।

बता दें कि बड़ी - बड़ी बात करने वाले नेताओं ने इस देश मे स्वास्थ्य सेवाओं को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। परिणाम यह है कि हिंदुस्तान में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर मात्र 1112 रुपये सालाना खर्च किये जाते हैं यानी 3 रुपये प्रतिदिन। अनुमान लगाइए अपने स्वास्थ और देश से लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का।

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