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बालू से 'मलाई' खाकर 'परिवहन' में तैनात रहे एक प्रशासनिक 'अफसर' बच निकले थे, फिर से सुलगी आग...चालाकी नहीं होगी कामयाब

बालू से 'मलाई' खाकर 'परिवहन' में तैनात रहे एक प्रशासनिक 'अफसर' बच निकले थे, फिर से सुलगी आग...चालाकी नहीं होगी कामयाब

PATNA: अवैध बालू खनन कराकर अपनी तिजोरी भरने वाले अफसरों पर सरकार की कार्रवाई जारी है। आर्थिक अपराध इकाई को भ्रष्ट अफसरों को चिन्हित कर एक्शन लेने का जिम्मा दिया गया है। ईओयू ने अब तक तत्कालीन एसपी से लेकर डीएसपी,एसडीओ,डीटीओ,एमवीआई,सीओ और थानेदारों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज कर छापेमारी कर चुकी है।रेड में सभी अफसरों के पास अकूत संपत्ति का पचा चला है। हालांकि काली कमाई करने वाले कई अफसर साफ बच भी निकले हैं। इनमें परिवहन विभाग से भी जुड़े अफसर शामिल हैं। एक प्रशासनिक अफसर साफ बच निकले हैं। 2021 में जब बालू खनन में संलिप्तता का खुलासा हुआ था तो वे भी पटना जिले में एक महत्वपूर्ण पद पर थे। उनको छोड़कर सीनियर-जूनियर सभी पर कार्रवाई हो गई थी लेकिन वे साफ बच निकले थे।आनन-फानन में उन्होंने अपना तबादला करा लिया. अब तो वे उस विभाग से ही हट गये।

बालू खनन करा माल बनाने वाले अफसरों पर जांच जारी

विश्वस्त सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार चालाक निकले कुछ अफसर बचने वाले नहीं। चाहे वे प्रशासनिक अफसर ही क्यों न हों। एक और प्रशासनिक अफसर के खिलाफ जांच की आंच है। बालू खनन में सलिप्तता में पटना,भोजपुर,औरंगाबाद,सासाराम और अन्य एक-दो जिलों के अफसर संलिप्त पाये गये थे। इन्हीं में से एक जिले में वो अफसर तैनात थे जो वर्तमान में परिवहन से अपने आप को अलग कर आराम की प्रशासनिक अधिकारी की ड्यूटी बजा रहे। हालांकि 2021 में ही प्रशानिक अफसर के खिलाफ जांच एजेंसी से शिकायत की गई थी। तब कहा गया था कि इस बिंदू पर भी जांच की जायेगी। हम आपको बताएं कि 2021 में वो अफसर पटना जिले में सहायक पदाधिकारी के पद पर तैनात थे। बताया जाता है कि तब इन्होंने भी बहती गंगा में जमकर हाथ धोया था। कहा तो यहां तक जाता है कि अपने सीनियर की बदनामी में इन्हीं का हाथ था। सीनियर लपेटे में आ गए और जूनियर बहती गंगा में हाथ धोकर चैन की बांसूरी बजाने लगे। 

स्थानांतरित अफसरों पर भी नजर!

आपको बता दें, 2021 में जब बालू खनन में संलिप्तता के आरोप में अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हुई थी ठीक उसी समय उनका स्थानांतरण उत्तर बिहार के एक जिले में किया गया था। वहां वे कुछ समय तक पदस्थापित रहे। इसके बाद उन्होंने अपनी सेवा को परिवहन विभाग से हटवा लिया और फिर दूसरे जिले यानी पटना से सटे बालू वाले जिले में जिम्मेदार पद पर करा लिया। बताया जाता है कि वो अधिकारी पड़ोसी राज्य के रहने वाले हैं। कहा तो यह भी जाता है कि सोन नदी के मंथन से जो प्राप्ति हुई उस फल को प्रशासनिक अफसर ने पड़ोसी राज्य में इन्वेस्ट किया है। 


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