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पटना के बाद मोतिहारीः पटना वाले MVI ने दूसरे जिले के थाने में जब्त ट्रक का दिया था 'फिटनेस' तो मोतिहारी MVI ने गाड़ी का अता-पता नहीं और लगा दिया वैल्यू

पटना के बाद मोतिहारीः पटना वाले MVI ने दूसरे जिले के थाने में जब्त ट्रक का दिया था 'फिटनेस' तो मोतिहारी MVI ने गाड़ी का अता-पता नहीं और लगा दिया वैल्यू

MOTIHARI:  बिहार के सरकारी सिस्टम में पग-पग पर गड़बड़ी है। जिसे जो जिम्मेदारी मिल रही वही गच्चा दे देता है। परिवहन विभाग में तो खेल और ही निराला है। यहां पैसे की बदौलत हर काम संभव है। ऐसी ही गड़बड़ी पटना में देखने को मिली थी। जांच हुई इसके बाद आरोपी डीटीओ को सस्पेंड किया गया। फिर घोटालेबाज डीटीओ के ठिकानों पर निगरानी की छापेमारी हुई। रेड में करोड़ों की संपत्ति का पता चला। पटना के एमवीआई रहे मृत्युंजय सिंह के ठिकानों पर भी निगरानी की छापेमारी हुई, जहां से अथाह संपत्ति का पता चला। इस एमवीआई पर कई तरह की गड़बड़ी के आरोप प्रमाणित भी हुए थे। अब मोतिहारी में नया कारनामा सामने आया है। मोतिहारी में परिवहन विभाग के एमवीआई और मद्य निषेध विभाग की पूरी पोल ही खुल गई है। एमवीआई ने बिना देखे कई गाड़ियों का वैल्यू लगा दिया और मद्य निषेध विभाग ने उसे नीलाम भी कर दिया। पहले सिर्फ इस तरह का एक केस सामने आया। लेकिन अब संख्या बढ़ रही है। इतना ही नहीं एक-एक व्यक्ति को नीलामी में 40-50 गाड़ियां दी गई है। अब इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश भी की जा रही है। 

मोतिहारी में बड़ा खेल

पटना के एमवीआई रहे मृत्युंजय सिंह ने दूसरे जिले के थाने में बंद गाड़ी का फिटनेस दफ्तर में बैठे-बैठे ही दे दिया था। मामले के खुलासे के बाद परिवहन विभाग ने जांच के आदेश दिये। जांच में आरोप प्रमाणित हो गया। इसी तरह का एक केस मुजफ्फरपुर में हुआ था जब तत्कालीन एमवीआई ने मोतिहारी के थाने में बंद ट्रक का फिटनेस प्रमाण पत्र दे दिया था। यह मामला भी काफी तुल पकड़ा था। इसके बाद विभाग ने जांच के आदेश दिये थे। अब मोतिहारी में परिवहन विभाग के एमवीआई-मद्य निषेध विभाग का अजीबो-गरीब कारनामा सामने आया है। थाना में गाड़ी देखे बिना मोतिहारी के एमवीआई संजय टाईगर ने कर दिया मूल्यांकन। वहीं मद्य निषेध विभाग ने निकाल दिया टेंडर। डाक में बोलेरो गाड़ी के लिए 1 लाख की बोली लगा और पैसा जमा कर जब वह व्यक्ति थाना पहुंचा तो थाना में गाड़ी ही नही है ।पता चला कि बोलेरो तो वर्ष 2017 में ही हाई कोर्ट के आदेश पर रिलीज हो गया। आखिर जब गाड़ी थाना में था ही नही तो मूल्यांकन कैसे हो गया?  यह बड़ा सवाल है। ।वही थाना में जब गाड़ी थी ही नही था तो मद्यनिषेध विभाग ने डाक कैसे कर दिया? डुमरियाघाट थाना कांड संख्या- 86/17 में जब्त एक बोलेरो संख्या- बीआर06पी 7989 की उच्चतम बोली लगा उस गाड़ी का अधिकार पत्र एक शख्स ने अपने नाम किया था। उसने ऑक्शन में बोली गयी उच्चतम नीलामी राशि एक लाख रुपये 25 दिसंबर को विभागीय कार्यालय में जमा करा दिया. साथ ही विभाग से उक्त बोलेरो गाड़ी को थाना से विमुक्त कराने के लिए प्रमाण पत्र ले लिया। इधर गाड़ी को विमुक्त कराने जब वह थाने पहुंचा तो थानेदार ने बताया कि उक्त गाड़ी थाना में नही है. उक्त बोलेरो संख्या- बी आर 06 पी 7989 उच्चतम न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2017 में ही मुक्त हो गया है.  वहीं इस संबंध में मोतिहारी के एमवीआई ने कहा था कि मानवीय भूल की वजह से ऐसा हुआ है। वहीं एक और गाड़ी बंजरिया थाने में जब्त हुआ। वो गाड़ी थाना में नहीं है और उसे भी एमवीआई ने वैल्यू लगा दिया और उसका भी डाक हो गया। इसके अलावे 2-3 और गाड़ियां हैं जिसका डाक किया गया है। 

डाक में एक शख्स को मिले 58 गाड़ी

 मोतिहारी डीएम ने 14 दिसंबर 2021 को इस संबंध में अधीक्षक मद्य निषेध को आदेश दिया था. उत्पाद अधिनियम के तहत दर्ज केस में वाहनों की सार्वजनिक नीलामी का आदेश था. इस आलोक में समिति गठित की गई जिसमें 23 और 24 दिसंबर को राज्य 7 वाहनों की नीलामी की गई. कुल मिलाकर 685 वाहनों में से 341 वाहनों की नीलामी की गई. जिसमे सरकार को 1 करोड़ 23 लाख 40 हज़ार 300 रुपए राजस्व प्राप्ति हुई। डाक में 341 वाहन में अकेले पप्पू कुमार को 20,नीरज कुमार को 58 व संतोष कुमार के नाम पर 36 वाहन डाक किया गया। वहीं डाक सूची में 33 पर अंकित अशोक प्रसाद यादव का नाम अंकित है । जिसने 14000 मात्र में कार का डाक लिया। वहीं अधिकारी सब कुछ नियम सम्मत बता रहे हैं।  बड़ा सवाल यही है कि यह संयोग है या सेटिंग कि एक-एक आदमी को डाक में 58 गाड़ियां मिल जा रहीं। जानकार बताते हैं कि 341 वाहनों में एक शख्स के नाम पर इतनी गाड़ियों की नीलामी मिलना आर्श्चयजनक बात है।   

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