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ऐसा बिहारी नेता, जिसके एक इशारे पर हिल जाती थी केंद्र की सरकार, मिली थी 36 कमांडो सहित सौ बॉडीगार्ड्स की सुरक्षा

ऐसा बिहारी नेता, जिसके एक इशारे पर हिल जाती थी केंद्र की सरकार, मिली थी 36 कमांडो सहित सौ बॉडीगार्ड्स की सुरक्षा

DESK: देश में राजनीति की बात हो और वहां पर बिहार व बिहार के नेताओं का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है। राजनीति का चाहे कोई भी कालखंड हो, बिहार के नेताओं के जिक्र के बिना वह कालखंड अधूरा है। देश के पहले राष्ट्रपति से लेकर ललित नारायण मिश्र, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार के साथ ही ऐसे कई नेता हैं जिनकी धमक देश स्तर पर है लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे बिहारी राजनेता के बारे में जिसके एक इशारे पर केंद्र की सरकार में हलचल मच जाती थी, जिसने जब चाहा, जैसे चाहा सरकार को अपने हिसाब से चलाया। इतना ही नहीं केंद्र में मंत्री रहते हुए उस राजनेता को 36 कमांडो समेत सौ बॉडीगार्ड्स की सुरक्षा मिली थी।

बिहार में जड़, असम में पकड़

आज हम बता रहे हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस नेता व एक वक्त में देश के मीडिया टाइकून रहे मतंग सिंह के बारे में। जिनका गुरुवार को निधन हो गया। दरअसल मतंग सिंह मूलरूप से बिहार के सारण जिले के तरैया प्रखंड के आकुचक गांव के निवासी थे लेकिन उनकी पकड़ असम की राजनीति में थी। राजनीति के अपने स्वर्णिम काल में मतंग सिंह की तूती असम के गुवाहाटी, तिनसुकिया से लेकर दिल्ली दरबार तक बोलती थी। असम के राजनीति पर नजर रखने वालों की माने तो 1990 के करीब मतंग सिंह ने कोयला माफिया के साथ मिलकर असम में अपनी ताकत का बढ़ाया था। इसके बाद वह कांग्रेस से जुड़े। कहा जाता है पैसा व रसूख के दम पर उन्होंने कांग्रेस में अपनी पकड बनायी और तब उनको असम कांग्रेस मजदूर सेल का अध्यक्ष बनाया गया। यहीं से उनके राजनीतिक सफर का आगाज हुआ और वह 1992 में असम से राज्यसभा के सदस्य बने। तत्कालीन पीवी नरसिंह राव सरकार में अपनी मजबूत पकड़ के दम पर उन्होंने अपनी पहचान बनायी और विवादास्पद तांत्रिक चंद्रास्वामी की वजह से उनकी नजदीकी नरसिंह राव से हुई। जिसके बाद उनको केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया। मतंग सिंह 1994 से 1998 तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे। तब उनको संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनाया गया था। नरसिंह राव सरकार के दौरान मतंग सिंह का राजधानी के सत्ता के गलियारे में जलवा हुआ करता था। नरसिंह राव सरकार पर जब भी मुसीबत आयी, तब मतंग सिंह ने उसे सुलझाने में अहम भूमिका निभाई। दरअसल मतंग सिंह को पीएमओ से जुड़ा मंत्रालय मिला वे प्रधानमंत्री के खासमखास बन गए। 


सारदा घोटाले में भी आया नाम

दिल्ली में जब पीवी नरसिंह राव सरकार की सरकार चली गयी तो मतंग सिंह की राजनीति भी धीरे-धीरे सुस्त होती गयी। लेकिन संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनते हुए उन्होंने जो पकड़ सिस्‍टम और अफसरशाही पर बनाई, उसका फायदा वह अंत तक उठाते रहे। संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनने के बाद जो पहचान उनकी बनी थी, लोगों ने उनको जाना था। सारदा घोटाले में नाम आने के बाद मतंग सिंह का नाम दुबारा चर्चा में आ गया। इस घोटाले की वजह से ही केंद्रीय गृह सचिव को भी अपना पद गंवाना पड़ा था। तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव के बारे में यह बात भी सामने आयी थी कि उन्होंने तब मतंग सिंह का नाम सारदा चिट फंड घोटाले में आने के बाद, उनको गिरफ्तारी से बचाने की कोशिश की थी। हालांकि मतंग सिंह बाद में गिरफ्तार भी हुए। चर्चा यहां तक थी कि मतंग सिंह की पहचान ब्यूरोक्रेसी, सीबीआइ के अलावा अर्द्धसैनिक बलों में भी अच्छी खासी थी। मतंग सिंह के रसूख का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यूपीए सरकार के दौरान उनको जेड प्लस सिक्योरिटी कवर मिला हुआ था। तब उनके साथ 36 कमांडो और सौ से भी ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे। लेकिन शारधा चिट फंड घोटाले में नाम आने के बाद सब कुछ बदल गया।

नहीं करते टिप्पणी तो रहते कांग्रेस में

मतंग के बारे में ऐसा कहा जाता है कि एक इंटरव्यू में उन्होंने कांग्रेस पार्टी की प्रमुख सोनिया गांधी पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद 1998 में उनको पार्टी से निकाल दिया गया था। इसके बाद भी वह खुद को कांग्रेसी ही लिखते रहे। उनकी पकड तब भी रही क्योंकि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में भी मतंग सिंह को जेड प्लस सिक्योरिटी मिली हुई थी। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनने के बाद मतंग सिंह से यह सुविधा वापस ले ली गयी थी। ऐसा कहा जाता है कि मतंग का जन्म असम के तिनसुकिया जिले में 1962 में हुआ था, जबकि कुछ लोग उनका जन्म बिहार में उनके पैतृक गांव में होने का दावा करते हैं। मतंग के पिता का नाम एसपी सिंह व माता का नाम रुक्मिनी सिंह था। ऐसा भी कहा जाता है कि मतंग सिंह असम में कई मीडिया कंपनियों और होटलों के मालिक थे। 


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