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एक ऐसा मंदिर, जहां नवरात्र के मौके पर महिलाओं के पूजा करने पर है पाबंदी

एक ऐसा मंदिर, जहां नवरात्र के मौके पर महिलाओं के पूजा करने पर है पाबंदी

NALANDA : बुधवार से चित्रा नक्षत्र में शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो गया है। आज यानी दस अक्टूबर से मां दुर्गा के भक्त विधि-विधान से पूजा शुरू कर देते हैं। पूजा के लिए दुर्गा मां के मंदिरों में श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ जुटती है। लेकिन बिहार के नालंदा जिले का एक मंदिर ऐसा भी है जहां नवरात्र के मौके पर महिलाएं पूजा नहीं कर सकती। घोसरावां गांव में एक ऐसा देवी मंदिर है, जहां महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है। 

नवरात्र में पूजा पर पाबंदी

देवी मां का यह मंदिर बिहारशरीफ से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। मां आशा देवी के मंदिर के नाम से यह प्रसिद्ध है। इस मंदिर में नवरात्र के अवसर पर माता की विशेष पूजा होती है जिसे बाम पूजा या तंत्र पूजा भी कहा जाता है। नवरात्र के मौके पर लोग यहां तंत्र-मंत्र की सिद्धियां प्राप्त करते हैं जिसके कारण नौ दिनों तक इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी जाती है।

तंत्र सिद्धि में महिलाएं हैं बाधक

जातक कथा के अनुसार तंत्र सिद्धि में महिलाओं को बाधक माना गया है। यही कारण है कि नवरात्र में अनुष्ठान के समय महिलाओं और बालिकाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगी है। कहा जा रहा है कि यह माता का पहला मंदिर है जहां नवरात्र के मौके पर महिलाओं के प्रवेश पर सदियों से पाबन्दी लगी है।

निशा पूजा के बाद दी जाती है बलि

नवमी के दिन यहां पर निशा पूजा के बाद पशु की बलि दी जाती है और दशमी की रात्रि आरती के बाद ही महिलाओं को माता के दर्शन की अनुमति दी जाती है। इस मंदिर में आशा देवी की दो मूर्तियों के अलावे शिव-पार्वती और भगवान बुद्ध की कई मूर्तियां हैं। काले पत्थर की सभी प्रतिमाएं बौद्ध, शुंग और पाल कालीन हैं।

जानकारों का कहना है कि 9 वीं शताब्दी में बज्र यान, तंत्र यान और सहज यान का बहुत तेजी से फैलाव हुआ था। उस समय यह स्थल विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध साधना का केंद्र था। बौद्ध धर्म के धर्मावलंबी अपनी सिद्धि के लिए इसी स्थल का उपयोग करते थे। 

नालंदा से प्रणय राज की रिपोर्ट

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