N4N DESK: साल 2020 में चीनी सैनिकों को भारतीय सेना से टकराना भारी पड़ा था। एक तरफ जहां 20 की संख्या में भारतीय जवान शहीद हुए थे, तो वहीं दो दर्जन से ज्यादा चीनी सैनिक भी इसमें लहूलुहान हुए थे। इस हमले में चीनी सेना ने हमारे खिलाफ कांटेदार तार लगे डंडो और पत्थरों का इस्तेमाल किया था। चीन की सेना पैंगोंग झील के पास भारतीय सैनिकों का सामना करने के लिए हाथों में लाठी, डंडे, कांटेदार तार और पत्थर लेकर आई थी।
अब, साल 2021 में उत्तर प्रदेश की एक फर्म Apastron Pvt Ltd ने सुरक्षाबलों के लिए पारंपरिक भारतीय हथियारों से प्रेरित गैर-घातक हथियार विकसित किए हैं। गौरतलब है कि बीते गलवान झड़प में चीन द्वारा हमारे सैनिकों के खिलाफ तार वाली लाठी, टेसर का इस्तेमाल करने के बाद सुरक्षाबलों ने इस फर्म को गैर-घातक हथियार विकसित करने के लिए कहा था। जिसके निर्देशानुसार फर्म ने वज्र, त्रिशूल, भद्र, दंड, सैपर पंच जैसे हथियार बनाए हैं। मेक इन इंडिया के ज़रिए नोएडा स्थित Apasteron Company को सुरक्षा बलों से इन हथियारों को बनाने का काम मिला है।
इसमें वज्र एक मेटल की लाठी है, जिसमें दुश्मन को ज़ोर का झटका देने के लिए करंट है। सामने आने वाले किसी भी दुश्मन को ये कुछ देर के लिए बेहोश कर सकती है। वहीं एक हथियार त्रिशूल है, जिसे हमारे पुराणों में काफी पवित्र माना गया है। त्रिशूल एक बेहद ही खतरनाक हथियार माना जाता है। त्रिशूल की नोक इस कदर पैनी होती है कि इंसान के शरीर से पलभर में आर-पार हो जाती है। इसको चलाने के लिए भी विशेष प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है। अगर इस त्रिशूल में करंट बहने लगे तो ये और भी घातक हो जाता है।
साथ ही सैपर पंच यानी बिजली वाला ग्लव्स है, जो दुश्मन पर पंच मारने में काम आता है। ये क़रीब 8 घंटे तक बिजली से चार्ज रह सकता है। यह वाटरप्रूफ़ या शून्य से 30 के तापमान में काम कर सकता है। दंड बिजली से चलने वाला डंडा। ये 8 घंटे तक बिजली से चार्ज रह सकता है और वाटरप्रूफ़ भी है। इस बिजली वाले डंडे की मार जिस पर पड़ेगी वो फिर मुड़कर नहीं आएगा। भद्र एक ख़ास तरह की ढाल है, जो जवान को पत्थर के हमले से बचाती है। इसमें बहने वाला करंट दुश्मन को ज़ोर का झटका धीरे से देता है।