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नवादा में मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के विकास कार्यों पर लगा ग्रहण, हाईकोर्ट ने निर्माण पर लगाई रोक, जानिए क्या है पूरा मामला

नवादा में मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के विकास कार्यों पर लगा ग्रहण, हाईकोर्ट ने निर्माण पर लगाई रोक, जानिए क्या है पूरा मामला

नवादा... जिले के विकास कार्यों पर ग्रहण लगता दिख रहा है। सदर प्रखंड के बुधौल गांव में निर्माणाधीन इंजीनियरिग कॉलेज, जननायक कूर्परी ठाकुर छात्रावास, एएनएम-जीएनएम कॉलेज, उत्पाद विभाग आदि विभागों के कार्यालय के निर्माण कार्य पर रोक लगा दिया है। रोक का आदेश उच्च न्यायालय ने जारी किया है। मामला विवादित जमीन पर निर्माण कार्य से जुड़ा है। प्रशासन जिस जमीन को बिहार सरकार का मानकर काम करवा रही थी, उस जमीन को निचली अदालत ने रैयती करार दिया है। अब अपील न्यायालय द्वारा जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला आने के बाद ही निर्माण कार्य संभव हो सकेगा। गौरतलब है कि ये सभी कार्य मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है।

दरअसल, नया खेसरा संख्या 1096, 1097 तथा 1100 के रकबा 35 एकड़ भूमि को जिला प्रशासन सरकारी भूमि समझते हुए उपरोक्त भवनों का निर्माण करा रही थी। उक्त भूमि को सैयद असगर अली नामक व्यक्ति अपनी रैयत भूमि बताते हुए व्यवहार न्यायालय नवादा में हकीयत वाद संख्या 432/16 दायर किया था। जिसमें जिला समाहर्ता एवं अंचल अधिकारी पक्षकार थे। 

उक्त वाद का फैसला 15 मई 2019 को जिला प्रशासन के खिलाफ आया था। जिला प्रशासन ने उक्त आदेश के विरुद्ध हकीयत अपील वाद संख्या 22/2019 जिला जज के न्यायालय में दाखिल किया है। जिसकी सुनवाई चल रही है। इस बीच भवनों का निर्माण कार्य जारी रहा। तब असगर अली ने उच्च न्यायालय की शरण ली। जहां उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए भवन निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगा दिया है। मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।

कानूनी जानकार बताते हैं कि नया सर्वे में काफी गलत खतियान का निर्माण हुआ है। सर्वे पदाधिकारी ने खतियानी रैयतों की भूमि को भी बिहार सरकार की भूमि घोषित कर दिया है। जिस कारण आए दिन जिला प्रशासन को अपनी ही भूमि चिन्हित करने में पसीने छूट रहे हैं।



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