न्यूज़ 4 नेशन डेस्क : आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है और दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या व चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली देवी। मां ब्रह्मचारिणी के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है और भक्त अपने कर्तव्य के पथ से भटकते नहीं हैं. वहीँ ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से भक्तों को लंबी आयु भी मिलती है.
मां ब्रह्मचारिणी नाम क्यों पड़ा
इसके पीछे की कथा है कि मां सती ने जब राजा हिमालय के घर जन्म लिया था तो भगवन शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. इसी कारण उन्हें ह्मचारिणी और तपश्चारिणी का नाम मिला। तपस्या के दौरान मां हजार वर्षों तक सिर्फ फल-फूल पर ग्रहण किए थे. तेज धूप, तेज वर्षा और आंधी-तूफान में भी मां ने निरंतर आराधना की थी. जिसके बाद मां को भगवान शिव के पति रूप में प्राप्त होने का वरदान मिला था.
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र:
या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
पूजा विधि
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में सबसे पहले दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से स्नान कराया जाना चाहिए. उसके बाद फूल, अक्षत, रोली, चंदन, पान, सुपारी, लौंग आदि अर्पित करें. इसके बाद देवी को मिठाई का भोग लगाएं।