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भूकंप से बचाव की ट्रेनिंग का एनडीआरएफ ने खुद ही किया बेड़ा गर्क, जिनके लिए कार्यक्रम चलाया, उन्हें ही नहीं दी गई खबर

भूकंप से बचाव की ट्रेनिंग का एनडीआरएफ ने खुद ही किया बेड़ा गर्क, जिनके लिए कार्यक्रम चलाया, उन्हें ही नहीं दी गई खबर

AURANGABAD : भूंकप आने के दौरान किस तरह लोग अपना बचाव कर सकें, इसके लिए एनडीआरएफ की तरफ से आम लोगों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। लेकिन इसके आयोजन को इतनी जल्दबाजी में किया गया कि आम लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं हुई और बेहद कम संख्या में लोग प्रशिक्षण कार्यकम में शिरकत करने पहुंचे।

अफरा-तफरी के माहौल में हुटर की आवाज, सिर पर कुर्सी उपर कर खुद को बचाते एनसीसी कैडेट्स, स्काउट्स, सिर को बचाने के लिए सिर पर हाथ रखकर निकलते लोगो, स्ट्रेचर पर ले जाये जाते एनसीसी कैडेट, कैडेट का इलाज करती मेडिकल टीम और सायरन की आव़ाज के बीच एम्बुलेंस से ले जाये घायल की तस्वीरो को देखकर यह साफ लग रहा है कि कही कोई बड़ा हादसा हो गया है और रेसक्यू ऑपरेशन चल रहा है। पहली नजर में तस्वीरों को देखकर यही बात हर किसी के दिमाग में कौंधेगी पर मामले का एक दूसरा पहलू भी है। दूसरा पहलू यह कि कही कोई हादसा नही हुआ है बल्कि ये तस्वीरे भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन नेशनल डिजास्टर रेसक्यू फोर्स(एनडीआरएफ) की बिहार के पटना के बिहटा स्थित यूनिट द्वारा औरंगाबाद समाहरणालय परिसर में भूकंप आने पर बचाव की ट्रेनिंग दिये जाने के दौरान किये गये मॉक ड्रिल की है।

 निःसंदेह तस्वीरे शानदार है और जन जागरूकता के लाने के लिए सरकार का यह प्रयास सराहनीय भी है पर मामले में कुछ झोल है। झोल यह कि पहले तो यह आयोजन ही आनन फानन में किया गया। कार्यक्रम के आयोजन की पूर्व संध्या पर शाम में एनसीसी और स्काउट संस्था के स्थानीय प्रमुखो को यह खबर दी गयी कि सोमवार को समाहरणालय में स्काउट और एनसीसी कैडेट्स को आपदा प्रबंधन के तहत एनडीआरएफ द्वारा भूकंप आने पर बचाव की ट्रेनिंग और मॉक ड्रिल की जानी है। अल्प सूचना और प्रचार प्रसार के अभाव के कारण कार्यक्रम में अपेक्षा के अनुरूप लोगो का जुटान नही हो सका जिसे कार्यक्रम में खाली पड़ी कुर्सियां सहज ही बयान कर रही थी। 

यदि इस कार्यक्रम का व्यापक प्रचार प्रसार होता या किसी सार्वजनिक स्थान पर आयोजन होता तो ज्यादा से ज्यादा लोगो को भूकंप के दौरान बचाव के तौर तरीकों की जानकारी हो पाती लेकिन एनडीआरएफ ने प्रचार प्रसार के मामले में लापरवाही कर खुद ही कार्यक्रम का बेड़ा गर्क कर दिया। इस मामले में जब औरंगाबाद के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल से बात की गयी तो उन्होने सीधे तौर पर टिपप्णी करने से बचते हुए कहा कि जिला प्रशासन की ओर से देव में इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करने का एनडीआरएफ से अनुरोध किया गया है।

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