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न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम , न इधर के रहे न उधर के रहे...ममता के बाद अब नीतीश और अखिलेश भी इंडी गठबंधन की बैठक में नहीं करेंगे शिरकत!

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम , न इधर के रहे न उधर के रहे...ममता के बाद अब नीतीश और अखिलेश भी इंडी गठबंधन की बैठक में नहीं करेंगे शिरकत!

PATNA-केद्र की मोदी सरकार को पटकनी देने के लिए नतीश ने पहल की थी और इंडी गठबंधन बना. पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस ने इंडी गठबंधन के किसी सहयोगी की परवाह नहीं की और चुनाव लड़ा. चुनाव परिणाम में  कांग्रेस की करारी हार हुई है, तेलंगाना को छोड़कर चार राज्यों में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन से इंडी गठबंधन पर भी सवाल उठने लगे थे. वैसे चुनाव के दौरान हीं सीएम नीतीश ने वामपंथियों की रैली में कांग्रेस पर प्रश्न खड़ा कर दिया था. दरअसल राजनीतिक पंडितों के अनुसार कांग्रेस सपने देख रही थी कि चुनावी जीत के बाद इंडी गठबंधन के सामने अपनी धाक दिखाएगी, सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा होगी तो वह मोलतोल कर सारी शक्ति अपने हाथ में सीमित रखेगी. अब नतीजों के बाद पासा पलट गया है.  कांग्इरेस इस स्थिति में ही नहीं है कि ज्यादा मांग कर सके. वस्तुत अब कांग्रेस के सामने इंडी गठबंधन को एक रखने की चुनौती है. 

6 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंडी गठभंधन की बैठक दिल्ली में बुलाई है. तो इस बैठक में ममता बनर्जी के बाद अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नहीं शामिल होने की खबर है. वैसे भी सपा सीप्रीमो अखिलेश यादव ने  वाराणसी में कांग्रेस का नाम लिए बिना कह दिया था कि -'अब परिणाम आ गया है, तो अहंकार भी खत्म हो गया, आने वाले समय में फिर रास्ता निकलेगा.' बहरहाल इंडी गठबंधन की बैठक में अखिलेश के शामिल होने को लेकर संशय बना हुआ है.

 वहीं, प. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पहले हीं साफ कर दिया  हैं कि व्यस्त कार्यक्रम के चलते वह भी बैठक में शामिल नहीं होंगी. कांग्रेस के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें बैठक के बारे में "जानकारी नहीं" थी.  बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी कांग्रेस द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने वाले हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने 6 दिसंबर को होने वाली बैठक से पहले ही दूरी बना ली है. इतना ही नहीं अब क्षेत्रीय दल सीट बंटवारे पर भी जोर देते नजर आ रहे हैं. इंडी गठबंधन के तमाम नेताओं के बयान आ रहे हैं, साफ पता चलता कि कांग्रेस की असल चुनौती अब शुरू होती है, जो कांग्रेस सोचकर बैठी कि इंडी गठबंधन की बैठक में ज्यादा से ज्यादा सीटें लेने की कोशिश करेगी, उस पर पलीता लगता दिख रहा है. अब प्रश्न ये उठता है कि क्या कांग्रेस की ये चुनावी हार इंडी गठबंधन को झटका दे रही है. 

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्ष को एकजुट करने के मकसद से बनाए गए इंडी गठबंधन की बैठक से तीन नेताओं का खुद को अलग करना गठबंधन में बढ़ती खाई को दिखाता है. वहीं सूत्रों के अनुसार जब कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे नीतीश कुमार को बैठक में आमंत्रित करने के लिए फोन किया तो उन्होंने अपनै फैसला तभी बता दिया था. नीतीश कुमार की जगह बैठक में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और वरिष्ठ नेता संजय झा शामिल होंगे.

राजनीतिक पंडितों के अनुसार अखिलेश यादव और नीतीश कुमार का ज्यादा आक्रमक होना स्वभाविक भी है.ये दोनों नेता  जो अभी कांग्रेस से सबसे ज्यादा खफा चल रहे हैं,चाहते थे कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस कुछ सीटें उनकी पार्टी के लिए छोड़ दे, लेकिन क्योंकि ऐसा नहीं हुआ और अब कांग्रेस ही यहां पर हार चुकी है, ऐसे में इनको हमला करने का बड़ा हथियार मौका मिल गया है. चुनावी हार ने कांग्रेस को हिंदी पट्टी राज्यों में बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है. कहा जा रहा है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों के इंतजार में कांग्रेस की वजह से ही इस मुद्दे पर चर्चा रुकी हुई थी.  बहरहाल अब देखना होगा कि इंडी गठबंधन का भविष्य क्या रहता है?


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