PATNA: बिहार के एक नेताजी को दल में 'उप' की कुर्सी जंच नहीं रही थी। वे उप के साथ-साथ और भी जिम्मेदारी चाह रहे थे। अब जाकर उन्हें 'उप' के साथ बोलने वाला डिपार्टमेंट भी मिल गया है। नेतृत्व ने इस बार की पारी में नेताजी को दूसरे दर्जे की कुर्सी दी थी। करीब डेढ़ सालों तक उप वाली कुर्सी लेकर नेताजी काम करते रहे। वैसे नेताजी छपास रोगी भी बताये जाते हैं। लिहाजा उप की कुर्सी लेकर भी वे छपास का कोई मौका हाथ से जाने देना नहीं देना चाहते हैं. नेताजी की खबरनवीसों से भी खूब छनती है. लिहाजा हर दिन अखबारों में एक-दो कॉलम जगह मिल ही जाती है। दीपावली से पहले अचानक नेताजी की लॉटरी लग गई। नेतृत्व ने खुश होकर एक साथ दो पद दे दिये। इस तरह से देश की सबसे बड़ी पार्टी के नेता जी अब तीन पदों के धारक बन गये हैं।
कभी राजा से खूब छनती थी
दरअसल, नेताजी पूर्व माननीय हैं। कभी वे राजा के काफी करीबी बताये जाते थे। आखिर करीबी हों भी तो क्यों नहीं, गृह जिला के साथ-साथ उनके समाज के जो ठहरे। सेवा से रिटायर होने के बाद नेता ने दूसरी पारी शुरू की। फिर राजा के सहयोग से 'ठंढा घर' पहुंच गये। लेकिन कुछ सालों बाद ही राजा से पंगा ले लिया। फिर क्या था राजा ने सदा के लिए साईड कर दिया। अब सहयोगी दल के साथ हैं। सहयोगी दल तो उन्हें फिर से ठंढ़ा घर नहीं भेज सकी लेकिन संगठन में पद जरूर दिया है। नेतृत्व ने उन्हें उप की कुर्सी दी थी। वैसे उप रहते हुए भी वो वही काम करते थे जिस काम की उन्हें अभी जिम्मेदारी दी गई है। दल ने उप महोदय को बोलने वाले विभाग का जिम्मा दे दिया है। साथ ही बोलने वाले डिपार्टमेंट को देखने वाली कुर्सी भी दे दी है।
दीपावली से पहले लगी लॉटरी
दीपावली से पहले एक साथ दो पद मिलने के बाद दल में यह चर्चा शुरू है कि आखिर छपास रोगी नेता जी ने क्या गुल खिला दिया कि एक साथ दो पद मिल गये। यह दीपावली धमाका से कम नहीं है। पहले से ही उप की कुर्सी और अब अन्य दो प्रभार । इस तरह से पूर्व माननीय अब तीन जिम्मा संभालेंगे।