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न्यूज4नेशन ने परिवहन विभाग को नींद से जगाया! पटना MVI के खिलाफ जांच के आदेश, गंभीर आरोप पर दिया था चौंकाने वाला जवाब

न्यूज4नेशन ने परिवहन विभाग को नींद से जगाया! पटना MVI के खिलाफ जांच के आदेश, गंभीर आरोप पर दिया था चौंकाने वाला जवाब

PATNA: बिहार के सुशासन राज में बड़े-बड़े खेल होते हैं। अफसरों को बचाने का खुल्म खुल्ला प्रयास किया जाता है। गड़बड़ी पकड़े जाने पर भी आरोपी सरकारी सेवकों को बचाने की कोशिश होती है। परिवहन विभाग इसका ज्वलंत उदाहरण है जहां हर गलत काम संभव है। पटना डीटीओ दफ्तर ने वैसी गाड़ियों का निबंधन किया था जिसे कंपनी ने बनाई ही नहीं थी। इसके बाद एक और खुलासा हुआ कि पटना के एमवीआई मृत्युंजय कुमार सिंह ने दूसरे जिले के थाने में जब्त गाड़ी का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जब विभाग में शिकायत पहुंची तो शो-कॉज पूछा गया। आरोपी अफसर ने जैसे-तैसे चौंकाने वाला जवाब दिया। हालांकि उनके जवाब में ही कई झोल मिले। जवाब लेकर परिवहन विभाग 2 महीनों तक गहरी नींद में रहा। न्यूज4नेशन ने गहरी नींद में सोये परिवहन विभाग को 12 मार्च 2021 को जगाया. इसके बाद आरोप की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने 19 मार्च 2021 को विस्तृत जांच कराने का आदेश दिया है।  

परिवहन विभाग ने जांच के दिये आदेश

परिवहन विभाग के उप सचिव की तरफ से 19 मार्च 2021 को क्षेत्रीय आयुक्त सह सचिव क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार पटना को पत्र दिया है। पत्र में विभाग ने उन तमाम बातों का जिक्र किया है जो उन पर आरोप लगे हैं। साथ ही आरोपी एमवीआई मृत्युंजय कुमार सिंह ने बचाव में जो चौंकाने वाला जवाब दिये हैं उन बातों का भी जिक्र किया गया है। विभाग ने कहा है कि इस मामले की विस्तृत जांच की जरूरत है। लिहाजा पंद्रह दिनों में जांच कर रिपोर्ट सौंपे।

पटना एमवीआई ने थाने में बंद ट्रक का दिया फिटनेस?

बिहार ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष की तरफ से पिछले साल ही परिवहन विभाग में शिकायत दर्ज कराई गई थी। पटना के एमवीआई मृत्युंजय कुमार सिंह पर आरोप है कि मुजफ्फरपुर के आदर्श नगर थाना क्षेत्र में जो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई उसे थाना में बंदी के दौरान पटना के मोटरयान निरीक्षक ने फिटनेस प्रमाण पत्र दे दिया। गाड़ी संख्या यूपी- 60T4830 ट्रक जो 2 जुलाई 2019 को आदर्श नगर थाने में जब्त कर रखा गया था उस गाड़ी का फिटनेस प्रमाण पत्र दिया गया।  4 जुलाई 2019 को जिला परिवहन कार्यालय पटना के काउंटर पर चलान जमा किया गया तथा 5 जुलाई 2019 को एमवीआई मृत्युंजय सिंह के द्वारा गाड़ी का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण की तारीख फिटनेस प्रमाण पत्र पर दर्शाया गया है. 6 जुलाई 2019 को उस गाड़ी का एमवीआई मृत्युंजय कुमार सिंह द्वारा फिटनेस प्रमाण पत्र 6 जुलाई 2019 से 4 जुलाई 2021 तक निर्गत किया गया है. जबकि वह ट्रक दूसरे जिले के थाने में जब्त था।

थाने के पत्र से खुलासा

19 अगस्त 2019 को सिकंदरपुर आदर्श नगर थाना मुजफ्फरपुर की पुलिस ने मोटरयान निरीक्षक मुजफ्फरपुर को नगर थाना कांड संख्या 572-2019 के तहत ट्रक संख्या- यूपी- 60T4830 की यांत्रिक जांच के संबंध में एमवीआई मुजफ्फरपुर को पत्र लिखा था।ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने सवाल उठाया कि जब गाड़ी दूसरे जिले के थाने में जब्त है तो पटना एमवीआई ने किस परिस्थिति में 5 जुलाई 2019 को गाड़ी का निरीक्षण किया और उसका फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया. इसमें भारी गड़बड़ी की गई है. यह जांच का विषय है कि थाने में बंद ट्रक का फिटनेस प्रमाण पत्र कैसे निर्गत हुआ? आरोपी एमवीआई के केस दर्ज करें।

एमवीआई का जवाब चौंकाने वाला

शिकायक के बाद परिवहन विभाग के उप सचिव ने 5 जनवरी 2021 को ही गड़बड़ी करने के आरोपी पटना के एमवीआई मृत्युंजय कुमार सिंह से स्पष्टीकरण पूछा था। दो बार स्पष्कीरण पूछे जाने के बाद पटना एमवीआई ने 6 जनवरी को शो-कॉज का जवाब दिया। उनका जवाब चौंकाने वाला था। पटना एमवीआई ने जो जवाब दिये उसके अनुसार हमने सही गाड़ी का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया लेकिन वाहन स्वामी ने फर्जी काम किया। पटना के एमवीआई ने विभाग को दिये अपने जवाब में लिखा है कि वाहन संख्या- यूपी- 60T4830 का फिटनेस प्रमाण पत्र गाड़ी के भौतिक सत्यापन कर चेचिस संख्या पेंसिल प्रिंट फॉर्म 50-2 पर लेने के बाद निर्गत किया गया. वाहन स्वामी द्वारा किसी अन्य वाहन पर निबंधन संख्या एवं चेचिस पंच कर दो वाहनों को चलाने का मामला प्रतीत होता है। मतलब पटना एमवीआई ने अपने जवाब में लिखा कि थाने में जब्त गाड़ी का चेचिस नंबर ही गलत है। परिवहन विभाग शो-कॉज प्राप्त कर फिर से गहरी निद्रा में सो गया। हालांकि एमवीआई के जवाब में ही कई झोल हैं। पुलिस ने जिस नंबर के ट्रक को जब्त करने की बात कह रही उसे पटना के एमवीआई गलत चेसिस नंबर साबित करने में जुटे रहे। विभाग ने भी माना कि इस जवाब से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता। लिहाजा अब विस्तृत जांच को लेकर आदेश जारी किया है। अब देखना वाली बात होगी कि 15 दिनों में जांच अधिकारी किस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। हालांकि जिस तरह के आरोप और उसके संबंध में प्रमाण हैं उसे कोई जांच अधिकारी आसानी से नकार नहीं सकता। 

फिटनेस प्रमाण पत्र ऑनलाइन जारी करने में क्या है मजबूरी? 

बड़ा सवाल यही है कि आखिर यह फर्जीवाड़ा कब तक चलेगा। वैसे लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई के नाम पर हाकिमों को पसीना क्यों छूटने लगता है ? परिवहन विभाग में अन्य सभी काम ऑनलाइन तो केवल फिटनेस प्रमाण पत्र ऑफलाइन क्यों.... क्या इसके पीछे कोई खास मकसद है? 

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