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न्यूज़4नेशन के खुलासे से राजनीतिक गलियारे में हड़कंप, सुशील मोदी बोले- शराबबंदी नीति में मौत पर 4 लाख मुआवजा का है ही प्रावधान, अब इस्तीफा दे नीतीश

न्यूज़4नेशन के खुलासे से राजनीतिक गलियारे में हड़कंप, सुशील मोदी बोले- शराबबंदी नीति में मौत पर 4 लाख मुआवजा का है ही प्रावधान, अब इस्तीफा दे नीतीश

 पटना. शराबकांड में मृतक के परिजनों को मुआवजे को लेकर News4Nation के खुलासे के बाद राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया है। दरअसल, सीएम नीतीश के पिओगे तो मरोगे और मुआवजे पर असंवेदनशील बयान के बाद न्यूज4नेशन ने शराबबंदी कानून का अनुसंधान किया तो पाया कि कानून के पैरा 42 में मुआवजे का प्रावधान है। इसके बाद शराबबंदी कानून में मृतक के परिजनों को मुआवजे का प्रावधान को लेकर न्यूज4नेशन ने आज खबर प्रकाशित की। इस खबर के बाद भाजपा सांसद सुशील मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार को घेरा है। सुशील मोदी ने कहा कि शराबबंदी नीति में मौत पर 4 लाख मुआवजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बिहार उत्पाद अधिनियम 2016 की धारा 42 में 4-4 लाख मुआवजे का प्रवाधान है। उन्होंने कहा कि गोपालगंज शराब कांड में 14 परिवारों को चार-चार लाख मुआवजा दिया गया, तो फिर सारण के मृतक परिवारों को मुआवजा क्यों नहीं दिया जाएगा? उन्होंने कहा कि ऐसे में सीएम नीतीश को गलत बयानबाजी करने के लिए सीएम पद से इस्तीफा देना चाहिए।

सारण में जहरीली शराब से सत्तर से अधिक लोगों की मौत के बाद भी बिहार के मुखिया नीतीश कुमार को कोई गम नहीं है। नीतीश कुमार कह रहे कि जो पियेगा वो मरेगा. हम और इसका प्रचार करायेंगे. मौत के बाद आश्रितों को मुआवजा देने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है। वहीं विपक्ष मुआवजे की मांग को लेकर सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन कर रहा। 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद पहली दफे 15 अगस्त 2016 को गोपालगंज में हुए जहरीली शराब कांड में 19 लोगों की मौत हुई थी. तब सरकार ने मृतक के परिजनों को 4-4 लाख का मुआवजा दिया था। सरकार अब छपरा-सिवान में जहरीली शराब पीने मरने वाले के परिजनों को क्यों नहीं मुआवजा दे रही? आखिर बिहार सरकार की पॉलिसी क्या है? शऱाब पॉलिसी को जब आप पढ़ेंगे तो नीतीश कुमार की पोल खुल जायेगी। पॉलिसी में प्रावधान है कि शराब पीने से मौत के बाद परिजनों को 4-4 लाख देना है. लेकिन यह राशि शऱाब बेचने वाले से लेकर दी जायेगी.छपरा जहरीली शराब कांड के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार न तो अपने खजाने से मुआवजा देने की बात कर रहे और न ही प्रावधान के अनुरूप जहरीली शराब बनाने वाले या बेचने वाले से compensation में 4-4 लाख दिलाने की बात कर रहे

मृतक के परिजनों को 4-4 लाख देने का है प्रावधान 

बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर 2016 को बिहार गजट प्रकाशित कराया था. नाम था बिहार मद्ध निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016. इस अधिनियम में 100 पॉइंट्स दिए गए हैं, जिसमें शराबबंदी कानून से जुड़ेी पूरी जानकारी दी गई है. बिहार गजट के 42 वें नंबर पर ''प्रतिकर (compensation) भुगतान करने हेतु कलेक्टर द्वारा आदेश'' दिए जाने से संबंधित जानकारी दी गई है. 42 वें नंबर के प्रथम पैरा में लिखा गया है कि ''दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) में इस अधिनियम के अधीन कलेक्टर(DM) को अधिकार है. आदेश पारित करते समय यदि उसे लगता है कि किसी स्थान पर बेचे गए शराब के सेवन के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई या बीमार हुआ है तो वह निर्माता/ विक्रेता चाहे वह किसी अपराध में दोष सिद्ध हुआ हो या नहीं, प्रतिकर (compensation) के रूप में प्रत्येक मृतक के प्रतिनिधि को कम से कम 4 लाख रू, गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त व्यक्ति को 2 लाख रू एवं किसी अन्य चोट खाने वाले व्यक्ति को 20 हजार रू भुगतान करने का आदेश देगा. जिले का कलेक्टर लोक मांग वसूली अधिनियम के तहत लोक मांग के रूप में उक्त प्रतिकर (compensation) विक्रेता-निर्माता से वसूल कर सकेगा.

दंड का पचास फीसदी राशि जमा करने के बाद ही हाईकोर्ट में अपील

गजट के 42 वें नबंर पैरा के तीसरे खंड में उल्लेख है कि कलेक्टर के आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति 30 दिनों के अंदर उच्च न्यायालय में अपील कर सकेगा. लेकिन आरोपी तब तक अपील दाखिल नहीं कर सकता है जब तक वह आदेशित राशि का 50 फ़ीसदी न्यायालय में जमा नहीं कर देता है. उच्च न्यायालय 30 दिनों की अवधि की समाप्ति के बाद भी अपील ग्रहण कर सकेगा यदि उसका समाधान हो जाता है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील करने से पर्याप्त कारण द्वारा रोका गया था.

खजूरबन्नी शराबकांड में सरकार ने खजाने से 4-4 लाख की दी थी राशि 

बिहार सरकार के गजट में शऱाब पीने से मौत होने पर परिजनों को 4-4 लाख देने का प्रावधान है। लेकिन यह राशि शराब बेंचने-निर्माण करने वालों से लेकर देना है। जिलाधिकारी को यह अधिकार दिया गया है। शऱाबबंदी के बाद पहली बार 15 अगस्त 2016 में गोपालगंज के खजूरबन्नी गांव में जहरीली शराब से 19 लोगों की मौत हुई थी. मौत के बाद पीड़ित परिवार को 4-4 लाख का मुआवजा दिया था। जानकार बताते हैं कि तब सरकार ने शऱाब बेचने वाले की संपत्ति जब्त कर नहीं बल्कि अपने खजाने से दिया था। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुआवजा देने के बाद सरकार ने शराब बेचने वाले के खिलाफ नीलामपत्र वाद दायर किया है। इस घटना के बाद सरकार ने 2 अक्टूबर 2016 को बिहार मद्ध निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 गजट प्रकाशित किया। जिसमें जहरीली शराब बनाने वाले-बेंचने वाले की संपत्ति से 4-4 लाख मुआवजा देने का प्रावधान किया है। 

अनिल राम की पत्नी को मिला था चार लाख मुआवजा 

गोपालगंज के खजुरबन्नी में 15 अगस्त 2016 को जहरीली शराब से हुई मौते के बाद परिजनों को सरकारी मदद मिली थी। मरने वाले 19 लोगों में अनिल राम भी थे. जहरीली शऱाब पीने से हुई मौत के बाद सरकार ने इनकी पत्नी अमृता को 4 लाख रू मुआवजा दिया था. कुछ समय पहले अनिल राम की पत्नी अमृता कही थी, उस दिन खजूरबानी में उनकी जिन्दगी उजड़ गयी। उसे दो बेटे और दो बेटी हैं। अमृता अब मायके में अपनी मां और पिता के साथ रहती है। आज अमृता का घर का और अपने बच्चों का खर्च निकालना भी मुश्किल है। उसके पति अनिल राम उन 19 लोगों में से थे जिन्होंने जहरीली शराब पीकर अपनी जान गंवा दी थी।सरकार ने अनिल राम के आश्रितों को 04 लाख रूपये का मुआवजा दिया था। मुआवजे की राशि बैंक में फिक्स कर दी गई थी और और फिक्स राशि के बदले प्रत्येक पीड़ित परिवार को बैंक से 9 सौ रूपये प्रति माह की राशि दी जाती है। लेकिन चार बच्चों वाले इस परिवार के लिए महंगाई के इस दौर में 900 रुपये से कहां खर्च चलता है।गोपालगंज शहर के नोनिया टोली के रहने वाले 55 वर्षीय परमा महतो , 28 वर्षीय शशि कुमार और 22 वर्षीय मुन्ना साह भी खजुरबानी कांड के शिकार हुए। परमा महतो की पत्नी जीतन देवी के मुताबिक उनके पति ठेला चलाकर घर का खर्च चलाते थे। जहरीली शराब ने उनके पति की जान तो ले ही ली, परिवार को भी आर्थिक तंगी के रास्ते पर ला खड़ा किया।उनके घर के 6 सदस्यीय इस परिवार में अब सरकारी मुआवजे से मिलने वाले 900 रूपये से ही परिवार का खर्च चल रहा है।

खजूरबानी जहरीली शराब कांड में 19 लोगों की हुई थी मौत
गोपालगंज नगर थाना के खजुरबानी में जहरीली शराब कांड में कुल 19 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 06 लोग अंधे हो गए थे। इस शराब कांड के बाद नगर थाना पुलिस ने खजुरबानी गांव के मुख्य अभियुक्त नगीना पासी , रुपेश शुक्ला सहित कुल 14 लोगों को अभियुक्त बनाया था।

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