PATNA: बिहार में महिला उत्पीड़न की लगातार घटनाओं से चिंतित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नीतीश सरकार को नींद से जागने की हिदायत दी है. मानवाधिकार आयोग ने साफ साफ कहा है कि बिहार में महिला उत्पीड़न को लेकर पुलिस के दावे सही नहीं हैं. पुलिस अगर काम कर रही होती तो ताबड़तोड़ घटनायें नहीं होती. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अररिया और बेगूसराय में महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाओं पर सरकार से जबाव मांगा है.
NHRC ने अररिया और बेगूसराय की घटनाओं का संज्ञान लिया
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार की दो घटनाओं पर फिर से संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जबाव मांग है. 31 अगस्त को अररिया में आधा दर्जन लोगों द्वारा घर में घुसकर एक नाबालिग लड़की को नंगा कर देने का मामला सामने आया था. हमलावरों ने लड़की के साथ जबरदस्ती भी की थी. वहीं, बेगूसराय में सरकारी शेल्टर होम में एक महिला द्वारा शीशे के टूकड़े खाकर आत्महत्या की कोशिश करने की खबर आयी थी. मामला 2 सितंबर का है.
मुख्य सचिव-डीजीपी को नोटिस
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को चार हफ्तों में रिपोर्ट देने को कहा है. आयोग ने कहा है कि सरकार ये बताये कि महिला उत्पीड़न की लगातार हो रही शर्मनाक घटनाओं को रोकने के लिए उसके पास क्या एक्शन प्लान है. इससे पहले आरा के बिहिया में महिला को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाने की घटना पर भी आयोग ने राज्य सरकार से जबाव मांगा था. उस मामले की रिपोर्ट भी अब तक नहीं भेजी गयी है.
NHRC ने पुलिस को लताड़ा
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि बिहार पुलिस राज्य में महिला उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आने का दावा कर रही है लेकिन हकीकत उल्टी है. बिहार में नाबालिग लड़कियो और महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध की लगातार खबरें आ रही हैं. मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि बिहार में कानून-व्यवस्था को संभालने वाली एजेंसियों को तत्काल हरकत में आना होगा ताकि देश को शर्मसार कर देने वाली घटनाओं पर रोक लग सके.