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मुहब्बत के अक्स का आईना है नीलांशु रंजन का उपन्यास ख़ामोश लम्हों का सफ़र

मुहब्बत के अक्स का आईना है नीलांशु रंजन का उपन्यास ख़ामोश लम्हों का सफ़र

PATNA : प्रेम व मुहब्बत एक ऐसी चिराग है जो हमेशा से है और हमेशा रहेगी। यह क़ायनात का कभी न खत्म होने वाला हिस्सा है।लेकिन इस प्रेम व मुहब्बत को लेकर, तवारीख़ गवाह है, कि जंग भी हुए हैं। लेकिन न प्रेम कभी ख़त्म हुआ न ही प्रेम करने वाले। नीलांशु रंजन का उपन्यास " ख़ामोश लम्हों का सफ़र " जो अनुज्ञा बुक्स से प्रकाशित हुआ है,  प्रेम के अलग कोण को, उसकी अहमियत को, उसकी नैतिकता को तलाशने की बड़ी बारीकी से  की गई कोशिश है। समाज के ताने-बाने के दायरे में विवाहेतर प्रेम के अन्तर्द्वंद को लेखक ने बारीकियों से पकड़ने की कोशिश की है। यहाँ विवाहेतर प्रेम संबंध है, न कि विवाहेतर रिश्ता। रिश्ते में ख़ालिस  जिस्मानी रिश्ता होता है। यहाँ विवाहेतर प्रेम है और संवेदना से सरशार है। क्या विवाहेतर प्रेम संबंध अनैतिक है- इन सारे द्वंद को दिखलाने की कोशिश की गई है इस उपन्यास में। 

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यह उपन्यास प्रेम की अहमियत और उसकी नैतिकता  को लेकर  लिखा गया है। इसमें प्रेम हर पक्ष को बड़ी ही बारीकी से उकेरा गया है। यही बात  इस उपन्यास को पठनीय बनाती है।  इस उपन्यास की चर्चा काफी हो रही है और अनलाइन डिमांड भी लोग कर रहे हैं। फ्लिपकार्ट और अमेजन पर तक़रीबन बीस- बाईस दिनों बाद यह उपन्यास उपलब्ध होगा।

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