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नीतीश और संघ के बीच बनते-बिगड़ते रिश्तों और बिहार की सियासत में उठते बवाल के बीच जरा इस तस्वीर को देखिए...

नीतीश और संघ के बीच बनते-बिगड़ते रिश्तों और बिहार की सियासत में उठते बवाल के बीच जरा इस तस्वीर को देखिए...

PATNA: कभी संघमुक्त तो संघयुक्त,कभी प्रशंसा तो कभी घृणा..कभी प्यार तो कभी दुत्कार।जी हां संघ के प्रति बिहार सरकार के मुखिया का यही नजरिया है। सियासत के हिसाब से प्यार और दुत्कार का खेल बनाया भी जाता है और बिगाड़ा भी जाता है.फिलहाल नीतीश सरकार ने लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी से जुड़े संगठनों को बिहार की धरती पर पेट के बल गिराने को ठान लिया है।

मतलब साफ है कि नीतीश सरकार का आरएसएस के प्रति मोहब्बत का पारा निम्नतम स्तर पर है और घृणा की बाढ़ से लबरेज सरकार ने बीजेपी से जुड़े तमाम संगठनों की कुंड़ली को खंगालना शुरू कर दिया है।आखिर अचनाक हुआ क्या कि इसकी जरूरत आ पड़ी।भला कौन नहीं जानता कि आरएसएस की बुनियाद पर हीं भाजपा खड़ी है।फिर खुलेयाम लेटर जारी कर आरएसएस जैसे संगठन को जांच के दायरे में लाने के पीछे की मशा क्या है?

जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार अपने सियासत के हिसाब से आरएसएस से अपने रिश्तों को बनाने और बिगाड़ने की पटकथा लिखते रहते हैं।विशेष शाखा द्वारा जारी किए गए लेटर के पीछे भी एक सियासत हीं है जो अब राजनीति के बिसात पर दूसरा समीकरण गढ़ना चाहता है।

कहा जाता है कि धुआं वहीं उठता है जहां आग होती है।अब जरा इस तस्वीर को देखिए और फिर नीतीश और संघ के रिश्तों की तासिर को समझिए...

बताया जाता है कि यह तस्वीर उस समय की जब नीतीश संघ के एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। यह फोटो 13 मई, 2006 की है जिसमें  नीतीश कुमार ने शिरकत की थी.  गोवलकर की शताब्दी में रखे गए समारोह में तत्कालीन आरएसएस नेता राममाधव भी मौजूद थे साथ ही डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी भी थे.






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