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अटल जी आपने मुझे जो भी सिखाया, मैं आज भी उसका पालन करता हूं- आपका जाना बेहद दुखद है….

अटल जी आपने मुझे जो भी सिखाया, मैं आज भी उसका पालन करता हूं- आपका जाना बेहद दुखद है….

PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए एक ब्लॉग लिखा है। नीतीश कुमार ने कहा है कि अटल जी के साथ राजनीति करते हुए उन्होंने जो कछ सिखा उसका आज वो पालन कर रहे हैं। नीतीश कुमार ने कहा है कि अटल जी के साथ उनका साहचर्य 1995 में शुरु हुआ। नीतीश के मुताबिक, “अटल जी के साथ मेरी नजदीकी 1995 में मुंबई में बीजेपी की नेशनल एग्जीक्यूूटिव मीटिंग से शुरू हुई. इस मीटिंग में हम सभी थी, जॉर्ज साहब भी थे. उस वक्त  बीजेपी सहयोगियों की तलाश में थी और हमारी समता पार्टी विधानसभा में मिली हार के बाद बीजेपी जैसे साथी का साथ चाहती थी जो लालू यादव की अपराजेयता के मिथक को तोड़ सके”।

नीतीश कहते हैं, “उनसे घनिष्ठ संबंध 1998 में शुरू हुए जब मुझे उनकी कैबिनेट में रेलवे मंत्री बनाया गया. हालांकि हमारी सरकार थोड़े समय बाद अगले साल ही गिर गई. अकसर खुद को अटल और बिहारी कहते हुए चुटकी लेने वाले वाजपेयी ने मेरे तत्कालीन संसदीय क्षेत्र बाढ़ को विद्युत परियोजना दी. एक हजारीबाग को भी मिली. जॉर्ज साहब के संसदीय क्षेत्र में आने वाले राजगीर में गोला-बारूद फैक्ट्रीज लगाई गई. तब से लेकर राज्यर के बंटवारे यानी कि साल 2000 तक वित्त, रक्षा और रेलेवे जैसे तमाम मुख्य मंत्रालय बिहार के सांसदों को दिए जाते रहे”. 

नीतीश के मुताबिक, “साल 1999 में गैसल हादसे में दो ट्रेनों के टकराने से करीब 300 लोगों की मौत हो गई थी. दुर्घटनास्थतल का दौरा करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि रेलवे स्टाफ की लापरवाही की वजह से लोगों का जान से हाथ गंवाना पड़ा. मैंने इस्तीफा दे दिया लेकिन अटल जी उसे स्वीकार नहीं करना चाहते थे. अपनी इच्छा पूरी करने के लि मुझे वास्त‍व में उनसे मिन्नतें करनी पड़ीं”

1999 के लोकसभा चुनाव को याद करते हुए नीतीश कहते हैं “1999 में संसदीय चुनाव के दौरान बैलेट पेपर से वोटिंग होती थी. मतगणना में कम से कम दो-तीन दिन का वक्त  लगता था और ऐसी खबरें थीं कि मैं चुनाव हार रहा हूं. चिंतित और परेशान वाजपेयी ने मुझे फोन किया और जब मैंने उन्हें  बताया कि परिणाम मेरे पक्ष में हैं तो उन्होंंने निश्चिंत होकर फोन रख दिया”।

नीतीश कहते हैं कि अटल जी बिहार के प्रति काफी उदार थे। हमारे पास संसाधन कम थे और अगर योजना आयोग हमारे प्रस्तावों का विरोध करता या अड़ंगा लगाता था तो मैं भागकर अटल जी के पास जाता था और वे अपने अनोखे अंदाज में मुझे आश्वस्त करते थे कि सबकुछ ठीक हो जाएगा. अगर वह 2004 के बाद भी अगले पांच सालों के लिए पीएम बने रहते तो मेरा विश्वास है कि बिहार में और ज्यादा विकास हो पाता. 

आखिर में नीतीश कहते हैं, “अटल जी, आपने मुझे जो भी सिखाया, मैं आज भी उसका पालन करता हूं, आपका जाना बेहद दुखद है।“


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