PATNA: बिहार में लॉक डाउन की वजह से कोटा में फंसे छात्रों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी मंशा साफ कर दी है .उन्होंने स्पष्ट कहा था कि कोटा में फंसे छात्रों को वापस नहीं बुलाया जाएगा .शनिवार को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान उन्होंने क्लियर कर दिया था की कोटा में फंसे छात्रों को बुलाने की जो मांग की जा रही है पूरी तरह से गलत है .अगर ऐसा होगा तो फिर लॉक डाउन का क्या मतलब? इतना हीं नहीं सीएम नीतीश कुमार यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कोटा में फंसे छात्रों को बुलाने पर आपत्ति उठा चुके हैं।लेकिन अब बड़ा सवाल यही खड़ा हो गया है कि जो बड़े लोग हैं उन लोगों को प्रशासन कोटा में फंसे बच्चों को लाने के लिए अनुमति दे रहा है तो फिर छोटे लोगों के प्रति सरकार का वैर क्यों है?
नीतीश जी कहते रह गए और उन्हीं के अधिकारी ने दे दिया परमिशन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते रह गए और बीजेपी के विधायक ने बजाप्ता बिहार सरकार से परमिशन लेकर कोटा में फंसे अपने बेटे को लेकर वापस पटना पहुंच गए हैं. हिसुआ से भाजपा विधायक अनिल सिंह लॉक डाउन में नवादा जिला प्रशासन की अनुमति से अपने बेटे और उसके दोस्त को वापस लेकर पटना आए हैं .
नवादा सदर के अनुमंडल अधिकारी के आदेश से विधायक अनिल सिंह 16 अप्रैल से लेकर 25 अप्रैल तक प्रतिबंधित अवधि में कोटा में फंसे पुत्र को लाने को लेकर आदेश लिया था.सदर एसडीओ के आदेश में लिखा गया है कि विधायक अनिल सिंह के वाहन परिचालन की अनुमति लोगों के जानमाल की रक्षा हेतु इस शर्त के साथ आदेश दिया जाता है कि, कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन नवादा के द्वारा जारी निर्देश का अक्षरशःअनुपालन करेंगे.इसके साथ हीं सभी व्यक्ति को मास्क लगाना अति आवश्यक है.
अनुमति पत्र वाहन के विडों पर लगाना अनिवार्य किया गया है. अगर इन कार्यों के अलावा अन्य कार्य में वाहन लगा हुआ तो उसे जब्त कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी