पटना। बिहार में मुख्य विपक्षी दल राजद लंबे समय से नीतीश कुमार के कार्यकाल अधूरा रहने की बात करता रहा है। अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार को भी लगता है कि इस बार उनका कार्यकाल पूरे पांच साल का समय पूरा नहीं कर पाए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डर है कि उनको कार्यकाल के बीच में ही सीएम की कुर्सी से हटाया जा सकता है। रविवार को पटना में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम नीतीश ने कुछ इसी तरह का इशारा किया।
कर्पूरी की तरह मुझे भी...
जननायक की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति में शिखर तक पहुंचे और दो बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। पहली बार 22 दिसंबर, 1970 को उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और 2 जून, 1971 को पद से इस्तीफा दे दिया था। दूसरी बार वे 24 जून, 1977 को राज्य का मुख्यमंत्री बने और मजबूरन 21 अप्रैल, 1979 को पद से इस्तीफा देना पड़ा। नीतीश कुमार ने जननायक के दूसरे कार्यकाल की तरफ इशारा करते हुए यह बात कह रहे थे। नीतीश कुमार की बातों में इस बात का डर था कि जिस तरह से कर्पूरी ठाकुर को अपना पद छोड़ना पड़ा था, उनके साथ भी ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो जाए।
दोनों तरफ से घिरे हैं नीतीश कुमार
नीतीश कुमार का यह डर काफी हद तक सही भी नजर आता है। बिहार में सबसे बड़ी पार्टी राजद वाली महागठबंधन बहुमत हासिल करने से महज कुछ सीटें पीछे रह गई थी और वह लतागार इस बात की कोशिश में है कि कुछ विधायकों को तोड़कर वह नीतीश सरकार को अल्पमत में ले आए। वहीं एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा भी इस ताक में है कि सीएम की कुर्सी पर अपने आदमी को बैठाया जा सके।