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नीतीश को मंत्रियों पर लगे दाग नहीं लगते अच्छे, अब तक के कार्यकाल में 6 मंत्रियों का विभिन्न मामलों में ले चुके हैं इस्तीफा

नीतीश को मंत्रियों पर लगे दाग नहीं लगते अच्छे, अब तक के कार्यकाल में 6 मंत्रियों का विभिन्न मामलों में ले चुके हैं इस्तीफा

पटना... एनडीए की सरकार बनने के बाद सियासी हलचल जिस प्रकार से देखने को मिल रही है, उस तरह शायद पहले कभी देखने को मिला हो। कैबिनेट में मंत्री पद मिलने के बाद एक घंटे में ही मेवालाल चौधरी का इस्तीफ लेकर नीतीश सरकार ने मंशा साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार को बढ़वा नहीं मिल सकता है। इसके बावजूद विपक्ष लगातार हमले कर रहा है। मंत्री मेवलाल चौधरी को इस्तीफ होने के बाद राजद इसे तेजस्वी यादव का दबाव बताया तो राजद के सांसद मनोज झा ने ही इसका क्रेडिट बीजेपी को देने का प्रयास किया। हालाकि मनोज झा की प्रतिक्रिया में नीतीश पर व्यंग्यात्मक हमला था। उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि मेवालाल को हटाने का निर्णय नीतीश का नहीं बल्कि बीजेपी का है, लेकिन इस बात में अधिक दम इसलिए नहीं लगता क्योंकि नीतीश कुमार तीन ‘सी’ क्राइम, करप्शन व कम्यूनिलिज्म से समझौता नहीं करने वाले मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते हैं।

बता दें कि मेवालाल चौधरी का किस्सा ये पहल नहीं है। गौर करें तो बीते सालों में हमारे समाने कई उदाहरण देखने को मिले हैं। अपनी पहली सरकार में ही नीतीश कुमार ने मंत्री बनाने के 24 घंटे के भीतर जीतनराम मांझी का इस्तीफा लिया। फिर रामानंद सिंह को पद छोड़ना पड़ा। 19 मई 2011 को कोर्ट द्वारा फरार घोषित होने के बाद सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह ने इस्तीफा दिया। 

अक्टूबर, 2015 में स्टिंग ऑपरेशन में 4 लाख घूस लेते पकड़ाए निबंधन उत्पाद मंत्री अवधेश कुशवाहा ने इस्तीफा दिया था। बालिकागृह कांड के बाद सीबीआई की तलाशी के दौरान ससुराल से कारतूस बरामद होने पर 2018 में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा से इस्तीफा ले लिया गया। इस कड़ी में महज तीन दिन के मंत्री मेवालाल चौधरी का नाम भी जुड़ गया है।


बता दें कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कुलपति रहते समय मेवालाल चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उन पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी. इसके बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से उन्हें निलंबित कर दिया गया था. यही वजह है कि विपक्ष लगातार नीतीश सरकार को टारगेट पर ले रही थी

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