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नीतीश कुमार बनेंगे राष्ट्रपति ! बिहार छोड़ अब दिल्ली में देश का सर्वोच्च कमान संभालने की बना रहे रणनीति

नीतीश कुमार बनेंगे राष्ट्रपति ! बिहार छोड़ अब दिल्ली में देश का सर्वोच्च कमान संभालने की बना रहे रणनीति

पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं. देश के 16वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई 2022 को खत्म हो जाएगा. ऐसे में देश के सर्वोच्च पद की कमान बिहार के सीएम नीतीश कुमार को दिलाने के लिए अभी से रणनीति बननी शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को राष्ट्रपति बनाने की योजना चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ़ पीके की है. पीके ने इसके लिए न सिर्फ नीतीश कुमार के समक्ष प्रस्ताव रखा है बल्कि देश के कई नेताओं से उन्होंने नीतीश को राष्ट्रपति बनाने के लिए समर्थन भी मांगना शुरू कर दिया है. 

दरअसल, राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने अनौपचारिक बातचीत और बैठकें शुरू कर दी हैं. कहा जा रहा है कि इसकी पहल की है तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने. राव ने हाल के दिनों में देश के एक दर्जन विपक्षी नेताओं से सम्पर्क किया है. इसमें बिहार के नेता प्रतिपक्ष और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव, महाराष्ट्र के अपने समकक्ष सीएम उद्धव ठाकरे, शिवसेना नेता संजय राउत से हुई मुलाकात शामिल है. इसके अलावा तमिलनाडु के सीएम स्टालिन, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा से भी राव की बात होने की खबर है. वहीं समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से यूपी विधानसभा चुनाव के बाद राव की मुलाकात हो सकती है. 

राव की ओर से देश भर के नेताओं से की जा रही मुलाकात और बातचीत के पीछे प्रशांत किशोर की रणनीति बताई जा रही है. प्रशांत किशोर के बारे में कहा जा रहा है कि वे तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में होने वाले विधानसभा के अगले चुनाव में चंद्रशेखर राव के लिए काम करेंगे. इसके पूर्व राव को उन्होंने देश का राष्ट्रपति बनाने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की जिम्मेदारी सौंपी है. 

विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के सर्वमान्य उम्मीदवार के लिए नीतीश कुमार का नाम सामने लाने की खबर है. दरअसल नीतीश कुमार की एक सर्वमान्य छवि रही है. नीतीश वर्ष 1989 में जब पहली बार सांसद बने तब अब तक लगातार अजेय हैं. यानी 1989 से 2005 तक लोकसभा सदस्य रहने के बाद वे 2005 से लगातार बिहार के मुख्यमंत्री हैं. इसमें 2014 के बाद कुछ महीनों के लिए उन्होंने अपनी मर्जी से सीएम पद छोड़ा था और जीतनराम मांझी बिहार के सीएम बने थे. नीतीश भले 1994 के बाद से ही भाजपा के सबसे नजदीकी दल के नेता रहे हों लेकिन उनका शेष राजनीतिक दलों से भी मधुर सम्बंध बताया जाता है. 

नीतीश की सर्वमान्य छवि और लंबे राजनीतिक अनुभव को अब विपक्षी एकता के रूप में राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में पेश करने की तैयारी है. अगर नीतीश के नाम पर देश के गैर कांग्रेसी विपक्षी दल एकमत हो जाते हैं तो उस स्थिति में कांग्रेस को भी अपने पाले में लाया जा सकता है. साथ ही अगर सब नीतीश के अनुरूप रहा तो उस स्थिति एनडीए के सहयोगी के नाते जदयू की ओर से भाजपा को भी नीतीश का समर्थन करने का अनुरोध किया जा सकता है. 

पिछले सप्ताह ही नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर ने दिल्ली में मुलाकात की थी. बाद में नीतीश ने कहा था कि उनके पीके से पुराने संबंध रहे हैं. हालांकि अब दोनों की हुई मुलाकात को राष्ट्रपति चुनाव से जोड़कर देखा जाने लगा है. वहीं पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा का परिणाम भी राष्ट्रपति पद में विपक्ष की रणनीति बनाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है. इस समय यूपी को छोड़कर शेष चारों राज्यों में भाजपा की सरकार है. 10 मार्च को चुनाव परिणाम के बाद अगर भाजपा पंजाब सहित पांचो राज्यों में वापसी करने में सफल रही तब तो विपक्ष को राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा झटका लगेगा. वहीं अगर भाजपा को सफलता नहीं मिली तो विपक्ष खासकर गैर कांग्रेसी दल नीतीश कुमार को राष्ट्रपति बनाने को लेकर बड़ी पहल कर सकते हैं. 

उस स्थिति में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के राष्ट्रपति बनने की ओर अग्रसित हो सकते हैं. उनके लिए प्रशांत किशोर और चन्द्रशेखर राव आने वाले दिनों में देश के गैर कांग्रेसी दलों को एकजुट करने के लिए और ज्यादा सक्रिय नजर आ सकते हैं. साथ ही नीतीश कुमार के लिए सोनिया-राहुल गांधी से भी समर्थन करने की बात की जा सकती है. 


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