PATNA : नीतीश कुमार को अब कुशवाहा वोट की चिंता सताने लगी है। उपेन्द्र कुशवाहा की चुनौती और मंजू वर्मा पर कार्रवाई के बाद नीतीश कुमार ने इस समाज में अपनी पैठ बरकरार रखने के लिए कवायद शुरू कर दी है। कोइरी-कुर्मी का समर्थन नीतीश कुमार को समता पार्टी के समय से ही मिलता रहा है। इस लिए वे अपने आधार मत को बचाये रखना चाहते हैं। नीतीश कुमार की इस मुहिम की कमान जदयू के कुशवाहा नेताओं के हाथ में है। जदयू के सांसद संतोष कुशवाहा और बिहार सरकार के मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कुशवाहा समाज को नीतीश कुमार के पक्ष में एकजुट करने का बीड़ा उठाया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री आवास पर रविवार को इस समाज के नेताओं की खास मंत्रणा हुई।
मंजू वर्मा ने खेला था जाति का कार्ड
चेरिया बरियारपुर की विधायक मंजू वर्मा कुशवाहा समाज से आती हैं। मुजफ्फरपुर कांड में उनके पति का नाम आने की वजह से उन्हें समाज कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। मंजू वर्मा ने इस मामले में जाति का कार्ड भी खेला था। उन्होंने आरोप लगाया था कि वे पिछड़ी और कमजोर जाति से आती हैं इस लिए उन पर कार्रवाई की गयी। उन्होंने कुशवाहा समाज में घूम-घूम कर इस बात का प्रचार भी किया था।
कुशवाहा को ही दिया गया समाज कल्याण निभाग
नीतीश कुमार को इस बात का अंदेशा था कि मंजू वर्मा पर कार्रवाई के बाद कुशवाहा समाज में नाराजगी हो सकती है। इस लिए उन्होंने मंजू वर्मा के इस्तीफे के बाद कुशवाहा समाज से आने वाले शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा को इसका प्रभार दिया गया। पदभार ग्रहण के समय कृष्णनंदन वर्मा ने कहा था कि वे इस पद पर अस्थायी रूप से हैं। इस पद पर किसी कुशवाहा को ही बैठाया जाएगा।
उपेन्द्र कुशवाहा की भी है चुनौती
उपेन्द्र कुशवाहा का दावा है कि वे कुशवाहा समाज के सबसे प्रभावशाली नेता हैं। उपेन्द्र कुशवाहा अब नीतीश कुमार के धुर विरोधी बन चुके हैं। इस लिए नीतीश कुमार को उपेन्द्र कुशवाहा की चुनौती से भी जूझना है। इन सब बातों को ध्यान में रख कर नीतीश कुमार ने इस वोट बैंक को बचाये रखने की कोशिश शुरू कर दी है।