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नियोजित शिक्षकों को आठ जिलों में वेतन नहीं वहीं 12 जिले में वेतन मद खर्च ही नहीं हुआ

नियोजित शिक्षकों को आठ जिलों में वेतन नहीं वहीं 12 जिले में वेतन मद खर्च ही नहीं हुआ

पटना :   कहा जाता है कि शिक्षा और शिक्षक किसी प्रदेश के बुनियाद होते हैं ।लेकिन एक तरफ जहां बिहार में स्कूल के शिक्षक 17 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं तो वहीं दूसरी तरफ के जिलों में उन्हें वेतन देने के पैसे तक नहीं हैं। वहीं 12 जिलों में जो पैसा वेतन मद में दिया गया वह खर्च ही नहीं हो पाया। अब भला बताइए ऐसे में शिक्षा की गाड़ी कैसे खींच पाएगी और बिहार विकास के पथ पर कैसे दौड़ेगा।

आठ जिलों में वेतन मद में पैसा ही नहीं और 12 जिलों में खर्च ही नहीं कर पाए
आप इसे विडंबना ही कह सकते हैं की बिहार के करीब 12 जिले ऐसे हैं जिनके वेतन मद में 235 करोड़ से अधिक की राशि जिला शिक्षा विभाग के पदाधिकारी खर्च नहीं कर पाए ।वहीं दूसरी तरफ छह से आठ जिलों में शिक्षकों के लिए वेतन ही नहीं है। 

अब वेतन की रकम मांगी जा रही है। इन जिलों की तरफ से कुल 100 करोड़ की मांग विभाग के सामने रखी गई है। अब सोचिए कि यह कैसा असंतुलन है। इस स्थिति में शिक्षा की ज्योत जल पाएगी ।सूत्रों की माने तो इन जिलों में शिक्षकों के वेतन मद का पैसा खर्च ही नहीं किया गया। ये जिले हैं बेगूसराय ,पटना, बांका दरभंगा ,गोपालगंज ,कटिहार, खगड़िया, वैशाली ,रोहतास, जहानाबाद, गया और मुजफ्फरपुर। शिक्षा विभाग ने इन जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों को राशि सरेंडर करने को कहा है लेकिन अभी तक इन जिला के सभी डीईओ ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। 

वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा जिला शिक्षा विभाग पदाधिकारी को कहा गया है कि बची हुई राशि जल्द से जल्द सरेंडर करें अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी ।गौरतलब है कि बिहार शिक्षक समन्वय संघर्ष समिति एवं अन्य शिक्षक संघ ओके नेतृत्व में बिहार के साढे तीन लाख से ज्यादा प्रारंभिक शिक्षक 17 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। वही माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर माध्यमिक शिक्षक भी 24 फरवरी से हड़ताल पर चले गए हैं। इन परिस्थितियों के अंदर वेतन मद के पैसे को खर्च नहीं कर पाना भी किसी विडम्बना से  से कम नहीं।

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