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नियोजित शिक्षकों ने EPF कमिश्नर से लगाई गुहार, कोर्ट ऑर्डर और ईपीएफ एक्ट का अक्षरशः पालन करवाने की मांग

नियोजित शिक्षकों ने EPF कमिश्नर से लगाई गुहार, कोर्ट ऑर्डर और ईपीएफ एक्ट का अक्षरशः पालन करवाने की मांग

पटनाः  बिहार के पंचायती राज व नगर निकायों के अंतर्गत कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्षों को ईपीएफ स्कीम से आच्छादित करने हेतू शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा पटना उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना तथा ईपीएफ एक्ट का उल्लंघन कर मनमाने तरीके से अपनाई जा रही प्रक्रिया को लेकर राज्य के शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त समेत राज्य सरकार के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव एवं श्रमायुक्त को ज्ञापन सौंप कर अविलंब शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्षों के हितों की रक्षा की मांग की है।

न्यायालय और सरकार ने शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ देने का दिया था निर्देश

पिछले दिनों राज्य सरकार ने ईपीएफ एक्ट-1952 के तहत पंचायती राज व नगर निकायों के अंतर्गत कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्षों को लाभ देने का निर्णय लिया तथा इससे पूर्व गत वर्ष पटना उच्च न्यायालय ने शिक्षकों की याचिका ( CWJC-19106/2019) की सुनवाई करते हुए क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त को पंचायती राज व नगर निकायों के अंतर्गत कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्षों को ईपीएफ एक्ट का कड़ाई से पालन करते हुए 60 दिनों के अंदर  भविष्य निधि आदि का लाभ दिलाने का आदेश भी दिया था। 



शिक्षा विभाग के अधिकारी ईपीएफ एक्ट का कर रहे हैं उल्लंघन 

उच्च न्यायालय के न्यायदेश और सरकार के निर्णय के बाद शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ देने हेतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मनमाने ढ़ग से ईपीएफ में रजिस्ट्रेशन हेतू भरवाए जा रहे फॉर्म में सभी की नियुक्ति तिथि कॉलम में 1 सितंबर, 2020 तथा वेतन के स्थान पर 15000 रुपए या उससे कम भरने हेतू न सिर्फ लिखित आदेश दिया है बल्कि जबरन फॉर्म में भी भरवाए जा रहे हैं। जिससे उनकी अबतक की सेवा अवधि शून्य हो जायेगी तथा वर्तमान में मिलने वाले लाभ के साथ-साथ भविष्य में भी मिलने वाले लाभों से वंचित होना पड़ेगा।   

भविष्यनिधि आयुक्त को ज्ञापन देकर न्यायालय के आदेश की दिलाई याद

शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मनमानी के विरोध में युवा शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर व आशीष सिंह एवं डॉ अनिल कुमार पांडेय के नेतृत्व में शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों का शिष्टमंडल कर्मचारी भविष्य संगठन (ईपीएफ) के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त को ज्ञापन सौंपा तथा उन्हें पटना उच्च न्यायालय द्वारा 17 सितंबर, 2019 का इस संबंध में दिये आदेश की याद दिलाई है, जिसमें उन्हें ईपीएफ एक्ट का कड़ाई से पालन कराते हुए सभी संबंधित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों को लाभ दिलाने का निर्देश दिया था। 

गलत करने को मजबूर कर रहे हैं अधिकारी :

युवा शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर ने बताया कि सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा लगातार लिखित एवं मौखिक निर्देश देकर न सिर्फ ईपीएफ एक्ट का उल्लंघन बल्कि पटना उच्च न्यायालय के न्यायादेश की भी अवहेलना कर विद्यालय प्रधानों एवं शिक्षकों को गलत सूचना भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है। 


उच्च न्यायालय के आदेश पर अब तक नहीं दी गई है चुनौती :

शिक्षकों के नेता डॉ अनिल कुमार पांडेय ने कहा कि उच्च न्यायालय के इस आदेश को किसी भी सक्षम न्यायालय द्वारा अभी तक न रोक लगाई गई है और न ही सरकार द्वारा चुनौती दी गई है। युवा शिक्षक नेता सिद्धार्थ का कहना है कि पिछले दिनों अपर सचिव सह निदेशक माध्यमिक शिक्षा के द्वारा 11 सितंबर को दिए गए एक विभेदपूर्ण निर्देश में कहा गया है कि इस वर्ष 31 अगस्त तक नियुक्त शिक्षक अपनी नियुक्ति तिथि के कॉलम में 1 सितंबर, 2020 भरेंगे जबकि भविष्य में नियुक्त शिक्षक अपनी वास्तविक नियुक्ति तिथि भरेंगे जो एक ही संवर्ग के शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग का भेदभावपूर्ण रवैया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से ही अबतक नियुक्त हुए शिक्षकों की जहां नियुक्ति तिथि अलग-अलग है वहीं उनका वेतन भी अलग-अलग है। ऐसे में सभी का एक ही नियुक्ति तिथि और एक ही वेतन का भरना और भरवाना अन्यायपूर्ण, अनैतिक और गैरकानूनी है। 

न्यायादेश एवं एक्ट के तहत लाभ दिलवाने की मांग :

शिक्षक के प्रतिनिधिमंडल ने अपने ज्ञापन के माध्यम से सभी अधिकारियों से शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ उच्च न्यायालय के न्यायादेश के अनुरुप तथा ईपीएफ एक्ट के प्रावधानों के तहत प्रक्रिया व कार्रवाई करते हुए लाभ दिलाने की मांग की है।

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