नियोजित शिक्षकों ने नई सेवाशर्त नियमावली का किया जोरदार विरोध, कहा- ‘गैरों में कहां दम था,हमें तो अपनों ने ही लूटा’

पटना: बिहार सरकार द्वारा नियोजित शिक्षकों के लिए दी गई सेवा शर्त नियमावली का विरोध थमने का नाम ले रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा 18 अगस्त को राज्य के शहरी व ग्रामीण (नगर निकाय व जिला परिषद) श्रेत्रों में कार्यरत शिक्षकों के लिए जारी की गई सेवा शर्त नियमावली का राज्य के सभी जिलों में शिक्षक इसकी प्रतियां जला कर अपना पुरजोर विरोध दर्ज करा रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर इस नई सेवा शर्त नियमावली के विरोध में लगातार कैंपेन राज्य भर में चल रहा है।

शिक्षकों का आरोप है कि शिक्षक संघों के प्रमुखों ने पिछले दिनों लगभग ढाई महीनों तक चली हड़ताल में 75 से अधिक शिक्षकों की शहादत व उनके असमय अनाथ हुए बच्चों के आंसूओं और विधवा हुई पत्नियों की मांगों की सिंदूर का सौदा कर सरकार से मिलकर राज्य के नियोजित शिक्षकों को ठगा है। उन सबों का कहना है कि एक शिक्षक संघ के प्रमुख नई सेवाशर्त नियमावली के आने से पूर्व ही मुख्यमंत्री व सरकार का गुणगान करने और बधाई देने लगे थे। साथ ही अभी भी विभिन्न मंचों व सोशल मीडिया के माध्यम से नई सेवाशर्त नियमावली को शिक्षकों का हितकर तथा इससे शिक्षकों का भविष्य उज्ज्वल होने की बात कह रहे हैं और इसके लिए सरकार को लगातार धन्यवाद और बधाई दे रहे हैं। 

गैरों में कहां दम था,हमें तो अपनो ने ही लूटा 

राज्य के शिक्षकों का कहना है ‘ गैरों में कहां दम था,हमें तो अपनो ने ही लूटा ’। शिक्षकों ने कहा कि सरकार से तो हम आने वाले चुनाव में तो निबट लेंगे लेकिन उसके पहले अपने ही संघों में विराजमान लोगों को सबक सिखायेंगे और संगठन को साफ-सुथरा बनायेंगे ताकि हमारी मांगों व आंदोलन को भविष्य में अपने स्वार्थ व लाभ के लिए के न बेचें।  

राज्य के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षकों का कहना है कि सरकार द्वारा हमारी जो मांगें थी उसमें रत्ती भर में पूर्ण नहीं किया और पहले से ही शिक्षकों को कई वर्गों में विभक्त कर उनकी एकता को खंड़ित करने का प्रयास किया है। वहीं अब महिला, दिव्यांग एवं पुरुष शिक्षकों में फूट डालने की भी साजिश रची है। पूर्ण वेतनमान न देकर उसकी जगह अप्रैल, 2021 से वेतन में मामूली बढ़ोत्तरी तथा भावी प्रभाव व अधूरे ईपीएफ का लाभ देने का ढ़िढ़ोरा पीट रही है। पूर्व से मिल रहीं कई सुविधाओं व सहूलियतों को भी हटा दिया गया है तथा नियोजित शब्द हटाने के नाम पर पंचायती राज व्यवस्था की दलदल में और ढकेल दिया गया है तथा विद्यालय में चपरासी से लेकर प्रधानाध्यापक/प्राचार्य के पदों को समाप्त कर नियोजन वाद की ओर ढकेल दिया गया है। प्रधानाध्यापक व प्राचार्य की जगह बड़ी ही चालाकी से प्रधान अध्यापक का पद, लिपिक की जगह विद्यालय सहायक  और आदेशपाल की जगह विद्यालय परिचारी का पद बना कर सभी की नियुक्ति व प्रोन्नति की जिम्मेवारी नियोजन ईकाई के अंतर्गत कर दिया है।  

शिक्षकों का कहना है कि पंचायती राज व्यवस्था से अलग करने की हमारी मांग थी परंतु इस सेवा शर्त द्वारा स्थानीय निकायों का शिकंजा शिक्षकों पर पहले से  अधिक कसेगा। हमारी वरीयता का निर्धारण स्थानीय निकायों द्वारा होंगी। अधिकांश अवकाशों की स्वीकृति पंचायतीराज संस्थानों से होगी, जबकि पूर्व के नियमावली के अनुसार लगभग सभी अवकाश प्रधानाध्यापक को ही स्वीकृत करने का अधिकार था। महिलाओं के मातृत्व अवकाश की स्वीकृति के लिए भी अब नियोजन ईकाई का चक्कर लाना पड़ेगा जिससे उनको अनावश्यक परेशानी के साथ-साथ मानसिक व आर्थिक शोषण भी झेलना पड़ सकता है। 

सबों का कहना है कि सरकार ने पूर्व से मिल रहे  10 वर्षों के सेवा के उपरांत एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि का लाभ भी समाप्त कर दिया है तो वहीं प्रधानाध्यापक को सेवापुस्तिका संधारण का अधिकार भी छिन लिया गया। अब इन परिस्थितियों में स्वच्छता प्रमाण पत्र लेने में शिक्षकों को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा।इस सेवा शर्त के नाम पर शिक्षकों के भयादोहन के सभी उपाय किए गए हैं। नियोजन ईकाई के अध्यक्षों के सहमति के बिना अब अधिकारी कार्यवाई का डंडा चलाने के बहाने शोषण करेंगे। 

मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार शिक्षकों के लिए सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में माध्यमिक शिक्षकों के लिए लेवल 7 एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए लेवल 8 देने की हमारी मांग के नाम हमें झुनझुना पकड़ा दिया गया वह भी अप्रैल, 2021 से। शिक्षकों का कहना है कि इस सेवाशर्त में कालबद्ध प्रोन्नित (एमएसीपी) का कोई जिक्र नहीं किया गया है तथा सेवा निरंतरता का लाभ भी भावी प्रभाव (प्रोसपक्टिव इफेक्ट) यानी वर्तमान के शिक्षकों को इसका लाभ न मिल कर भविष्य में नियोजित होने वाले शिक्षकों को ही इसका लाभ मिल सकेगा। 

इस सेवा शर्त नियमावली में पुरुषों के लिए कभी फलीभूत न होने वाला ट्रांसफर का प्रावधान किया गया है जिसके अंतर्गत एक से दूसरे जिले में अदला-बदली करने वाले शिक्षक मिल भी जायेंगे लेकिन उसी विषय का मिलना असंभव सा लगता है। जहां तक प्रोन्नति का सवाल है तो संबंधित नियोजन ईकाई में उस विषय में रिक्त पद होने पर ही उच्च माध्यमिक (+2) शिक्षक पद पर प्रोन्नति होगी मगर प्लस टू की प्रोन्नति कैसी होगी इसका कोई प्रावधान नहीं है तो वहीं शारिरिक शिक्षकों एवं पुस्तकल्याध्यक्षों की प्रोन्नति की व्यवस्था भी नहीं है। उच्च माध्यमिक में 50 प्रतिशत पद प्रोन्नति से तथा 50 प्रतिशत पर सीधी नियुक्ति करने का प्रावधान है जिससे छोटे नियोजन इकाईयों में रिक्तियां नहीं होने के कारण माध्यमिक शिक्षकों की प्रोन्नति संभव नहीं हो सकेगा।  वहीं वित्त विभाग की सहमति व तय की नई व चाइनीज वेतन पर ही प्रधानाध्यापक नहीं प्रधान अध्यापक पद पर प्रोन्नति हो सकेगी। 

उन सबों का कहना है कि हमें पूर्व से मिल रही सुविधा में कटौती की गई है। 30 दिनों का असाधारण अवकाश के अलावा पंचांग वर्ष में 30 दिनों का अवैतनिक अवकाश का भी प्रावधान था मगर अब मात्र 30 दिनों अवैतनिक असाधारण अवकाश ही मिलेगा।शिक्षकों का कहना है कि हमारे इतने लंबे समय के संघर्ष, आंदोलन, कुर्बानियों का परिणाम ऐसा होगा हमसबों कभी नहीं सोचा था जिसके लिए सरकार से ज्यादा हमारे संघों पर काबिज संघ प्रमुखों दोषी हैं। सभी शिक्षकों ने आवाज बुलंद करते हुए कहा कि सरकार अविलंब इस सेवाशर्त को वापस लेते हुए पुराने शिक्षकों पर लागू सेवाशर्त को हू-ब-हू लागू करें। साथ ही साथ शिक्षकों के लिए सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरुप माध्यमिक शिक्षकों के लिए पे इंडेक्स लेवल-7 और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए पे इंडेक्स लेवल-8 की घोषणा करें, नहीं तो हम अब आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है चूंकि हमारे लिए खोने को अब कुछ नहीं बचा है बस अब पाना है।