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कलंक कथा की अगली कड़ीः सुशासन को 'दागदार' बनाने वाले DEO व DPO प्रफुल्ल मिश्रा पर अब तक कोई एक्शन नहीं, छोटी 'मछली' पर कार्रवाई का दिखावा कर रहा शिक्षा विभाग

कलंक कथा की अगली कड़ीः सुशासन को 'दागदार' बनाने वाले DEO व DPO प्रफुल्ल मिश्रा पर अब तक कोई एक्शन नहीं, छोटी 'मछली' पर कार्रवाई का दिखावा कर रहा शिक्षा विभाग

PATNA: मोतिहारी जिला शिक्षा पदाधिकारी दफ्तर के अधिकारियों-कर्मियों की कलंक कथा की आज की कड़ी में हम आपको बता रहे कि किस तरह से शिक्षा विभाग में जांच के नाम पर खेल खेला जा रहा। डीईओ दफ्तर में शिक्षकों के स्थानांतरण में भारी गड़बड़ी की गई। जांच में डीईओ-डीपीओ स्थापना सीधे तौर पर दोषी पाये गए। जांच रिपोर्ट मुख्यालय को मिले करीब एक महीने हो गये। इतने दिनों में इतनी बड़ी गड़बड़ी में अधिकारियों की बात तो छोड़ ही दिजीए। किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। दिखावे के लिए दो लिपिक पर प्रपत्र-क गठित कर विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश दिया गया है। दोषी पाये गए डीईओ का मोतिहारी से ट्रांसफऱ हो गया। वहीं डीपीओ स्थापना प्रफुल्ल मिश्रा व दो कर्मी आज भी उसी जगह बने हुए हैं जहां पर गड़बड़ी पकड़ी गई थी। यानी सुशासन राज कुछ भी कर लीजिए, अगर ऊपरी वरदहस्त है तो आपका कोई बाल-बांका नहीं कर सकता। 

जानें डीईओ-डीपीओ का पूरा खेल... 

मोतिहारी में शिक्षकों के स्थानांतरण में भारी गड़बड़ी उजागर हुई। जांच में मोतिहारी के तत्कालीन डीईओ, डीपीओ स्थापना व दो कर्मियों की मिलीभगत की बात सामने आई। जांच में पाया गया कि मोतिहारी में शिक्षकों के  स्थानांतरण में नियमों को तार-तार किया गया। आरडीडीई मुजफ्फरपुर ने मोतिहारी डीईओ ऑफिस में हुए खेल का खुलासा कर 20 जुलाई को रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा निदेशक को सुपुर्द कर दिया। जांच रिपोर्ट में  तत्कालीन डीईओ-डीपीओ (स्थापना) प्रफुल्ल कुमार मिश्रा व दो कर्मियों को दोषी माना गया। जांच रिपोर्ट के आधार पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने 27 जुलाई को दो कर्मियों के खिलाफ प्रपत्र-क गठित कर तीन दिनों में रिपोर्ट देने का आदेश डीईओ मोतिहारी को दिया था। इसके बाद डीईओ ने निदेशक पत्र पर अमल नहीं किया। न्यूज4नेशन ने जब इतनी बड़ी गड़बड़ी में पूरे मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की खबर चलाई। इसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने दो कर्मी सत्येंद्र मिश्र एवं राजीव रंजन कुमार के विरुद्ध विहित प्रपत्र क गठित कर रिपोर्ट दिया।  20 जुलाई से 16 अगस्त हो गया। इस मामले में आगे अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि मुख्यालय के संज्ञान में आने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए थी। 

जानें कौन अफसर-कर्मी पाए गये हैं दोषी 

1-तत्कालीन डीईओ

2-प्रफुल्ल कुमार मिश्रा-डीपीओ(स्थापना)

3- सत्येंद्र मिश्र -लिपिक

4- राजीव रंजन कुमार-लिपिक

जांच रिपोर्ट में खुली पोल

मुजफ्फरपुर के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक ने मोतिहारी में शिक्षकों के स्थानांतरण मामले की जांच किया। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी पूर्वी चंपारण एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना के द्वारा माह मार्च 2021 में प्रारंभिक शिक्षकों के स्थानांतरण (जिला संवर्ग) के क्रम में आरडीडीई कार्यालय द्वारा 27 मार्च 2021 को अनुमोदन वापस लिया गया था. जिसे जिला शिक्षा पदाधिकारी के ईमेल पर उसी दिन यानी 27 तारीख को ही भेज दिया गया था. सबूत के तौर पर आरडीडी ने ईमेल रसीद को भी संलग्न किया है. प्रतिवेदन के अनुसार अनुमोदन वापस लेने संबंधी पत्र जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा 3 अप्रैल 2021 को संज्ञान में लेते हुए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना पूर्वी चंपारण को उपलब्ध कराया गया. इसके बाद प्रभारी लिपिक-प्रधान लिपिक द्वारा संचिका 6 अप्रैल को वस्तुस्थिति दर्शाते हुए प्रस्ताव दिया गया. 12 अप्रैल 2021 को जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा टिप्पणी दिया गया कि विभागीय पत्रांक 1859, 19 मई 2008 के द्वारा मैट्रिक प्रशिक्षित शिक्षकों का पद प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को समाप्त हो जाता है. जिला शिक्षा पदाधिकारी पूर्वी चंपारण के आदेश के आलोक में 15 जून 2021 को जिला प्रारंभिक शिक्षक स्थापना समिति पूर्वी चंपारण की बैठक की गई. जिसमें 30 जनवरी 2021 को बैठक में लिए गए स्थानांतरण संबंधी निर्णय को संपुष्ट करते हुए क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक तिरहुत प्रमंडल को वस्तु स्थिति से अवगत कराने का निर्णय लिया गया.

आरडीडीई ने डीईओ-डीपीओ को माना था दोषी

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि  उपरोक्त स्थानांतरण में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी पूर्वी चंपारण द्वारा ईमेल का त्वरित संज्ञान नहीं लिया गया तथा विलंब किया गया. जिस कारण से स्थानांतरित शिक्षक आज तक नव स्थानांतरित विद्यालयों में बने हुए हैं.यह उच्च अधिकारियों के आदेश की अवहेलना है. इस मामले में संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं कार्यक्रम पदाधिकारी पूर्वी चंपारण दोषी हैं. साथ ही तथ्य छुपाने के नियत से अपने पत्रांक 26 अप्रैल 2021 द्वारा मार्गदर्शन संबंधित पत्र निर्गत किया गया जो आज तक इस कार्यालय को प्राप्त नहीं हुआ. इस संबंध में उनके द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया. मुजफ्फरपुर के आरडीडीई ने यह जांच रिपोर्ट 20 जुलाई 2021 को विशेष सचिव सह निदेशक माध्यमिक शिक्षा को समर्पित किया था।



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