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न डिग्री, न लाइसेंस, फिर भी धड़ल्ले से झोलाछाप डॉक्टर कर रहे हैं प्रसुताओं की ऑपरेशन से डिलिवरी, स्वास्थ्य विभाग ने बंद कर ली है आंखे, यह रहा सबूत

न डिग्री, न लाइसेंस, फिर भी धड़ल्ले से झोलाछाप डॉक्टर कर रहे हैं प्रसुताओं की ऑपरेशन से डिलिवरी, स्वास्थ्य विभाग ने बंद कर ली है आंखे, यह रहा सबूत

BETIA : बड़ी खबर पश्चिमी चंपारण जिला के बगहा अनुमंडल क्षेत्र से है, जहां इलाके में दर्जनों अवैध नर्सिंग होम का मकड़जाल बिछा हुआ है और इन नर्सिंग होम्स में मरीजों से मनमाना पैसा लेकर अवैध तरीके से सर्जरी के कार्य को भी अंजाम दिया जाता है। बताया जा रहा है कि इस तरह संचालित हो रहे अवैध क्लीनिकों पर बड़े बड़े चिकित्सकों के नेम प्लेट भी अंकित हैं और डिग्री की बात की जाए तो फिजिशियन या झोलाछाप डॉक्टर हीं यहां हर रोज़ दर्ज़नों की सर्जरी भी करते हैं। 

ऐसे ही कुछ तस्वीर हम आपको बगहा 2 प्रखण्ड क्षेत्र के खरहट त्रिभौनी से दिखा रहे हैं जहां कोविड गाइड लाइंस की परवाह किये बगैर दर्जनों मरीजों को भेड़ बकरियों की तरह सर्ज़री कर रखा गया है और अधिकांश मरीजों का सिजेरियन भी आज कल में किया गया है। मरीज औऱ उनके परिजनों का कहना है कि गांव गांव से बुलाकर लाये गए प्रसव पीडिता से ये झोलाछाप इनसे 18 से 20 हजार रुपये लेकर पेट चीड़ कर यहां बच्चे की पैदाइश में जुटे हैं और ऊपर से दवा का खर्च भी अलग से वसूल लिया गया है वह भी नीम हक़ीम ख़तरे में जान के ज़रिए।

पूरा मामला बगहा दो प्रखण्ड अंतर्गत भोलापुर खरहट औऱ तोनवा त्रिभौनी स्थित महावीर नर्सिंग होम औऱ चंपारण हेल्थ केयर सेंटर का है। हालांकि जैसे ही हमें मरीज के परिजनों द्वारा सूचना मिली कि यहां पैसे को लेकर मनमानी की जा रही है औऱ मरीजों के आर्थिक शोषण किये जा रहे हैं तो हमने इस नर्सिंग होम का जायजा लिया और यहां के डॉक्टर से बात करने की कोशिश की लेकिन ज़नाब कैमरा देखकर भाग खड़े हुए। हैरत की बात है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव औऱ पंचायतों में बहाल आशा कर्मियों की भी मिलीभगत का खुलासा हुआ है जब खुद मरीज़ औऱ उनके परिजनों को भी यह पता नहीं है कि शल्य चिकित्सक कौन हैं या फ़िर उनकी डिग्री औऱ अनुभव क्या है। इन भोले भाले ग्रामीणों को कमीशन की लालच में आशा कर्मियों ने इस कदर बरगलाया है कि इन्हें सिर्फ़ काम से मतलब है चिकित्सक के नाम या पद का कोई मायनें नहीं। 

हालांकि नवागत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से जब इस मामले में पूछा गया तो उन्होंने जांच कर कार्रवाई हर हाल में करने की बात कही है । ऐसे में अब देखना होगा कि इस तरह के फर्जी क्लीनिकों पर जहाँ ना तो क्लीनिक का कोई रजिस्ट्रेशन हुआ है, औऱ ना ही दवा दुकान केमिस्ट ड्रगिस्ट द्वारा रजिस्टर्ड है और तो औऱ यहां फिजिशियन ही सर्जरी कर मरीज के जान से खिलवाड़ कर रहे हैं औऱ झोलाछाप मालामाल हो रहे हैं। वह भी मेडिकल साइंस के मानक के विरुद्ध तो ऐसे गोरखधंधे में शामिल नीम हकीम मरीजों के जान माल से जिस तरह खिलावाड़ कर रहे हैं उस पर स्वास्थ्य विभाग किस तरह नकेल कसता है देखने वाली बात होगी। क्योंकि जब शिकायत ख़ुद प्रभारी MO के संज्ञान में आया है औऱ कार्रवाई का दावा भी किया जा रहा है।

 हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है और ना ही यह कोई ऐसी पहली फ़र्ज़ी अस्पताल है जहां बेतरतीब मरीज़ों का दोहन औऱ शोषण किया जा रहा हो इसके पूर्व भैरोगंज व बगहा 1, रामनगर औऱ गण्डक पार प्रखण्ड क्षेत्रों से दर्ज़नों शिकायतें आईं और उनपर कार्रवाई भी किये गए बावजूद इसके यह गोरखधंधा कैसे फ़ल फूल रहा है बड़ा सवाल है जिसका जवाब मिलना अभी बाक़ी है ।

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