देश के कई हिस्सों में सूखे एटीएम को भरने के लिए रिजर्व बैंक अपनी नोट छापने की प्रेसों में छपाई का काम तेजी से बढ़ा चुका है। रिजर्व बैंक द्वारा बुधवार को जारी डेटा बताता है कि लोग कैश की जमाखोरी फिर करने लगे हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोग जितना पैसा निकाल रहे हैं उतना खर्च नहीं कर रहे हैं जिससे पता चलता है कि कैश की जमाखोरी नोटबंदी से पहले वाले हाल पर ही है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आमतौर पर
बैंकों और एटीएम से निकाले गए कैश को फिर से सर्कुलेशन में आने में कुछ
महीनों का वक्त लगता है। इस कारण आरबीआई के साप्ताहिक डेटा से यह नहीं
अंदाजा लगाया जा सकता कि कितना कैश जमा हुआ है लेकिन डेटा से यह अनुमान
जरूर लगाया जा सकता है कि नकद जमा करने का ट्रेंड चल रहा है।
आरबीआई द्वारा जारी डेटा पर नजर डालें
तो 20 अप्रैल को खत्म हुए
हफ्ते में
बैंकों से 16,340 करोड़
रुपये निकाले गए। अप्रैल के पहले तीन हफ्तों में कुल 59,520 करोड़ रुपये निकाले गए। जनवरी-मार्च
तिमाही में कुल 1।4
लाख करोड़ रुपये निकाले गए जो 2016 की इसी तिमाही से 27 प्रतिशत ज्यादा है। 20 अप्रैल तक करंसी सर्कुलेशन 18।9 लाख करोड़ रुपये है। यह अक्टूबर 2017
से 18।9 प्रतिशत ज्यादा है। पिछले साल अक्टूबर
के बाद से करंसी सर्कुलेशन में तेजी आई है।
कैश की जमाखोरी में आई तेजी से पीएम मोदी
द्वारा नोटबंदी के कदम से क्या पाया इस पर सवाल उठने लाजिमी हैं।
लोगों के बीच भले ही ऑनलाइन ट्राजैक्शन का ट्रेंड बढ़ा हो लेकिन कैश
की जमाखोरी अभी भी जारी है।