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अब झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं की सूचि से बाहर हुई भोजपुरी और मगही, कांग्रेस की मांग पर सोरेन सरकार ने लिया फैसला, देखते रह गए लालू

अब झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं की सूचि से बाहर हुई भोजपुरी और मगही, कांग्रेस की मांग पर सोरेन सरकार ने लिया फैसला, देखते रह गए लालू

RANCHI : जिस भाषा को लेकर कभी गर्व किया जाता था, अब उसी भाषा की कानूनी मान्यता कर दी गई है। यह हुआ है 21 साल पहले बिहार से अलग होकर नए राज्य के रूप में सामने आए झारखंड में, जहां हेमंत सोरेन सरकार ने बोकारो और धनबाद की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को हटा दिया है। वहीं वहीं उर्दू भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल किया गया है. इसकी अधिसूचना कार्मिक, प्रशासनिक एवं राजभाषा विभाग ने जारी कर दी है।

अपनी ही सरकार में कांग्रेस के आगे नहीं चली लालू की

झारखंड में भोजपुरी भाषा को लेकर हो रहे विरोध पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने यह कहा था कि इसे कभी क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटने नहीं देंगे। लेकिन लालू प्रसाद के भरोसे के बाद सोरेन सरकार दूसरी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के आगे झुक गई और दो बड़े शहरों से भोजपुरी की मान्यता को खत्म कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस सूची में झारखंड के दूसरे शहरों को भी शामिल किया जा सकता है।

हालांकि पलामू व गढ़वा में भोजपुरी भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची में रखा गया है. इसी तरह मगही को चतरा व लातेहार जिला की क्षेत्रीय भाषा की सूची में रखा गया है।

उर्दू पर मेहरबानी

चौंकानेवाली बात है कि धनबाद, बोकारो सहित झारखंड के दूसरे शहरों में लोग भोजपुरी नहीं बोलना चाहते हैं, लेकिन सोरेन सरकार यह जरुर मानती है कि प्रदेश में उर्दू बोलनेवाले की तादाद ज्यादा है। यही कारण है कि उर्दू भाषा को इस बार सभी 24 जिलों की क्षेत्रीय भाषा की सूची में उर्दू भाषा को भी शामिल किया गया है। जबकि पिछली बार उर्दू भाषा को किसी जिला की क्षेत्रीय भाषा में शामिल नहीं किया गया था, पर इस बार सभी 24 जिलों की क्षेत्रीय भाषा की सूची में उर्दू भाषा को भी शामिल किया गया है।

कांग्रेस ने की थी मांग

अधिसूचना जारी होने से पहले शुक्रवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिल कर धनबाद-बोकारो में क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाने का आग्रह किया था. इन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषा को लेकर पूर्व स्थिति बहाल की जाये. पहले से धनबाद और बोकारो की क्षेत्रीय भाषा की सूची में भोजपुरी और मगही शामिल नहीं थी.

इसलिए इस बार कोई नयी व्यवस्था लागू करने की आवश्यकता नहीं है. जिन जिलों के गांवों में ये भाषाएं नहीं बोली जाती, वहां इन्हें सूची में रखने की जरूरत नहीं है. 

JSSC ने पिछले साल जारी की थी सूचि

24 दिसंबर 2021 को झारखंड में सरकार ने जिलास्तरीय पदों के लिए जनजातीय भाषाओं सहित क्षेत्रीय भाषाओं की सूची जारी की थी. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा में जिलास्तरीय पदों के लिए क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को जिलावार चिह्नित किया गया था.

किस जिले में कौन सी भाषा

रांची - कुड़ुख, खड़िया, मुंडारी, नागपुरी, पंचपरगनिया,उर्दू,

हो, संथाली कुरमाली, बंगला

लोहरदगा - कुड़ुख, असुर, बिरजिया उर्दू, नागपुरी

गुमला - कुड़ुख, खड़िया, असुर, उर्दू,नागपुरी

बिरहोरी, बिरजिया, मुंडारी

सिमडेगा - खड़िया, मुंडारी, कुड़ुख उर्दू,नागपुरी

प. सिंहभूम - हो, भूमिज, मुंडारी, कुडुख, संथाली कुरमाली,उर्दू, उड़िया

पू.सिंहभूम - मुंडारी, हो, भूमिज, संथाली,कुड़ुख कुरमाली, बंगला,उर्दू, उड़िया

सरायकेला - संथाली, मुंडारी, भूमिज, हो पंचपरगनिया,उर्दू, उड़िया,

बंगला, कुरमाली

लातेहार - कुड़ुख, असुर, बिरजिया नागपुरी,उर्दू, मगही

पलामू - कुड़ुख, असुर नागपुरी,उर्दू, मगही, भोजपुरी

गढ़वा - कुड़ुख नागपुरी, मगही,उर्दू, भोजपुरी

दुमका - संथाली, माल्तो खोरठा, बंगला,उर्दू, अंगिका

जामताड़ा - संथाली खोरठा, उर्दू,बंगला, अंगिका

साहिबगंज - संथाली, माल्तो खोरठा, बंगला,उर्दू, अंगिका

पाकुड़ - संथाली, माल्तो खोरठा,उर्दू, बंगला, अंगिका

गोड्डा - संथाली, माल्तो खोरठा,उर्दू, बंगला, अंगिका

हजारीबाग - संथाली, कुड़ुख, बिरहोरी नागपुरी, कुरमाली,उर्दू,खोरठा

कोडरमा - संथाली कुरमाली, उर्दू,खोरठा

चतरा - संथाली, कुड़ुख, मुंडारी, बिरहोरी नागपुरी,उर्दू, खोरठा, मगही

बोकारो - संथाली, हो, मुंडारी नागपुरी, कुरमाली,

खोरठा, उर्दू,बंगला,

धनबाद - संथाली नागपुरी, खोरठा, कुरमाली,

उर्दू,बंगला

गिरिडीह - संथाली खोरठा, उर्दू,कुरमाली

देवघर- संथाली खोरठा, अंगिका, उर्दू, बंगला

रामगढ़- संथाली, कुड़ुख, बिरहोरी नागपुरी,उर्दू, कुरमाली, खोरठा

खूंटी- कुड़ुख, खड़िया, मुंडारी नागपुरी, पंचपरगनिया,

उर्दू, कुरमाली

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