अब बिहार में उपजेगा विदेशी धान, बोधगया में विदेशी बौध्द भिक्षुओं द्वारा की जा रही है रोपनी

GAYA: विदेशी पर्यटकों या बौद्ध भिक्षुओं के संबंध में लोग यह समझते होंगे कि वह यहां भगवान बुद्ध की पूजा करने या दर्शन करने ही आते हैं। ऐसा नहीं है महाबोधि मंदिर का दर्शन पूजन के साथ यहां के मगध यूनिवर्सिटी में 200 से ज्यादा विदेशी बौद्ध छात्र विभिन्न विषयों की पढ़ाई भी करते हैं।
बता दें कि, यहां के बौद्ध मंदिरों में भी छात्र रहते हैं और यहां अध्यन करते हैं। बौद्ध मंदिरों में रहने वाले विदेशी बौद्ध भिक्षु अध्यन करने के साथ साथ अपने हिसाब से खेती भी और आसपास के लोगों विदेशी खेती के बारे में बताते भी हैं। ऐसा नजारा बोधगया में देखने को मिला।
दरअसल, बोधगया स्थित वट लाओस बौद्ध मंदिर में रहने वाले थाईलैंड और लाओस के बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा इस बार पहली बार स्टीकि राइस की खेती की जा रही है। बोधगया में सालों भर थाईलैंड, कंबोडिया सहित विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षु व विदेशी श्रद्धालुओ का आने जाने का सिलसिला लगा रहता है। लेकिन उन्हें यहां स्टिकि राइस खाने के लिए नहीं मिलता था।
वहीं जब वह थाईलैंड से स्टिकी राइस को फ्लाइट से मंगवाते थे तो बोधगया पहुंचते–पहुंचते काफी मंहगी हो जाती थी। इसलिए यहां आसपास के कुछ जमीन को लीज पर लेकर खेती कर रहे हैं। वट लाओस मंदिर के केयरटेकर संजय कुमार ने बताया कि विदेशी बौद्ध भिक्षु करीब एक बिगहा जमीन में धान की रोपनी की है। इसमें थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया बौद्ध भिक्षु शामिल थे।