पटनाः परिवहन विभाग ने आर्थिक अपराध इकाई पर ठीकरा फोड़ भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित एमवीआई की पोस्टिंग कर दी। आधार बना गया कि चार साल बाद भी ईओयू ने कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित नहीं किया। चार्जशीट दाखिल नहीं होने व विभागीय कार्यवाही अब तक पूर्ण नहीं होने को आधार बनाकर भ्रष्टाचार के आरोपी एमवीआई अमिताभ कुमार को निलंबन मुक्त कर पदस्थापित किया गया। अपने ऊपर सवाल खड़े होने के बाद अब आर्थिक अपराध इकाई भी जाग गई है। खबर के बाद सरकार भी हरकत में आई है।
परिवहन विभाग के बाद अब ईओयू की बारी
भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित चल रहे एमवीआई अमिताभ कुमार की पोस्टिंग में आर्थिक अपराध इकाई की लापरवाही को आधार बनाया गया। परिवहन विभाग ने ईओयू की पोल-पट्टी खोला तो जांच एजेंसी भी जाग गई है। खबर सामने आने के बाद आर्थिक अपराध इकाई ने जांच संबंधी फाइल को एक्टिवेट कर दिया है। बताया जा रहा है कि अगले 1-1.5 महीने के अंदर भ्रष्टाचार के आरोपी एमवीआई अमिताभ कुमार के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी जायेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक न सिर्फ चार्जशीट बल्कि अभियोजन की स्वीकृति भी जल्द ली जायेगी। परिवहन विभाग ने 22 जून को जो आदेश जारी किया था है उससे आर्थिक अपराध इकाई सवालों के घेरे में आ गई है। खबर सामने आने के बाद जांच एजेंसी अपनी प्रतिष्ठा बचाने को लेकर जल्द चार्जशीट दाखिल कर सकती है।
बता दें, परिवहन विभाग के उप सचिव ने 22 जून के अपने आदेश में कहा है कि विभाग की तरफ से 22 दिसंबर 2020 को आर्थिक अपराध इकाई से आरोपी एमवीआई के विरुद्ध कोर्ट में दाखिल आरोपपत्र की प्रति मांगी गई थी। आर्थिक अपराध इकाई ने इसके जवाब में 3 फरवरी 2021 को पत्र भेजा. जिसमें बताया गया कि अनुसंधान पूर्ण होने पर कोर्ट में समर्पितअंतिम प्रपत्र उपलब्ध कराई जाएगी. विभाग ने आगे कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि आर्थिक अपराध इकाई चार्जशीट दाखिल नहीं किया.
परिवहन विभाग के आदेश से कटघरे में सुशासन
भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे और चार सालों से निलंबित चल रहे परिवहन विभाग के एमवीआई अमिताभ कुमार के आवेदन पर परिवहन विभाग ने काफी मेहरबानी दिखाई थी. चार सालों से निलंबित एमवीआई का निलंबन तोड़कर सीधे जिला में पदस्थापित कर दिया था। भ्रष्टाचार के आरोप में गंभीर रूप से घिरे एमवीआई अमिताभ कुमार का निलंबन हटाकर जिला पोस्टिंग का मामला काफी चर्चा में आ गया। न्यूज4नेशन ने इस मामले का खुलासा किया तो हड़कंप मच गया। इसके बाद कार्रवाई शुरू हुई। सरकार के स्तर पर इस मामले में संज्ञान लिया गया। इसके बाद परिवहन विभाग ने अपने आदेश में संशोधन किया है और आरोपी एमवीआई को भोजपुर से हटा दिया गया है। इस तरह से एमवीआई के मामले में परिवहन विभाग ही कटघरे में खड़ा है।
भोजपुर एमवीआई से हटाया गया
परिवहन विभाग को 48 घंटे में ही खुद के आदेश को बदलना पड़ा। भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे अमिताभ कुमार का निलंबन हटाकर भोजपुर एमवीआई के पद पर पदस्थापित किये जाने वाले आदेश में संशोधन किया गया. उन्हें भोजपुर एमवीआई से पद से हटाया गया और परिवहन मुख्यालय में पदस्थापित किया गया है। विभाग के उप सचिव ने अपने आदेश में कहा है कि 22 जून के आदेश में बदलाव किया जा रहा है। अब अमिताभ कुमार को मुख्य़ालय में मोटर यान निरीक्षक के खाली पद पर पदस्थापित किया जाता है। इस तरह से सरकार की भद्द पिटवाने के बाद विभाग ने यू-टर्न लिया।
13 तारीख को नोटिस,15 को जवाब और 22 को पोस्टिंग
पूरे मामले में परिवहन विभाग कटघरे में हैं. विभाग ने 22 जून को एक आदेश जारी किया था। विभाग के उप सचिव के हस्ताक्षर से ऑर्डर जारी किया गया था. ऑर्डर देखने से यह पता चल रहा था कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे एमवीआई की पोस्टिंग में काफी तेजी दिखाई गई। निलंबित एमवीआई अमिताभ कुमार के आवेदन पर परिवहन विभाग ने विचार किया। फिर भ्रष्टाचार में निलंबित चल रहे एमवीआई को 13 जून को नोटिस देकर पक्ष रखने को कहा गया। आरोपी ने दो दिन बाद यानि 15 जून को अपना पक्ष रखा और विभाग ने 22 जून को निलंबन तोड़ते हुए एक ही आदेश में पोस्टिंग भी कर दिया। यानि पूरी प्रक्रिया महज कुछ दिनों में ही पूरी कर ली गई।
26 मई को निलंबित एमवीआई ने दिया था आवेदन
22 जून को परिवहन विभाग के पत्र में कहा गया है कि निलंबित एमवीआई अमिताभ कुमार द्वारा निलंबन मुक्त करने जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान एवं विभागीय कार्यवाही का शीघ्र निष्पादन करने संबंधी दावों पर पटना हाईकोर्ट में अपील दाखिल किया था . केस की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने 17 मई 2022 को न्यायादेश पारित किया. इस आलोक में निलंबित एमवीआई अमिताभ कुमार ने 26 मई 2022 को अनुशासनिक प्राधिकार यानी कमिश्नर को आवेदन समर्पित किया. उस आवेदन पर अनुशासनिक प्राधिकार ने विचार किया. पक्ष रखने के लिए 13 जून को नोटिस निर्गत किया गया। नोटिस पर अगले 2 दिन बाद यानी 15 जून को ही निलंबित एसबीआई ने लिखित एवं मौखिक रूप से अपना पक्ष रखा. पक्ष में अनुरोध किया गया कि निलंबन अवधि में जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान नहीं हुआ है. ऐसे में जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान किया जाए. साथ ही निलंबन के प्रथम वर्ष 50% एवं उसके बाद के वर्षों में वृद्धि कर जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान करने पर विचार किया जाए. साथ ही तीसरा यह कि वे 4 वर्ष 3 माह तक निलंबित रहे हैं, ऐसे में निलंबन मुक्त किया जाये। परिवहन विभाग के आदेश में कहा गया था कि शिवहर के तत्कालीन मोटरयान निरीक्षक अमिताभ कुमार ने हाई कोर्ट का आदेश एवं सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र के आलोक में निलंबन मुक्त करने का आवेदन दिया. इस आधार पर विचार के बाद निलंबन मुक्त करने का निर्णय लिया गया. उप सचिव के पत्र में कहा गया है कि निलंबित एमवीआई ने मौखिक रूप से पक्ष रखा कि वह लंबी अवधि से निलंबित है. विभागीय कार्यवाही प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है. जांच कार्य में आर्थिक अपराध इकाई एवं संचालन पदाधिकारी को सहयोग कर रहे हैं.