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अब लकड़ी से दाह संस्कार करने पर लगेगी रोक, बड़ा सवाल- फिर हिंदू कैसे करेंगे अंतिम संस्कार

अब लकड़ी से दाह संस्कार करने पर लगेगी रोक, बड़ा सवाल- फिर हिंदू कैसे करेंगे अंतिम संस्कार

पटना. प्रदूषण रोकने के लिए क्या क्या उपाय हो सकता है. अगर कोई कहे कि इसके लिए दाह संस्कार पर रोक लगाई जाए क्योंकि इससे होने वाला धुआं प्रदूषण फैलाता है तो जरुर आपको ताजुब्ब लगेगा. लेकिन ऐसा हो सकता है. दरअसल, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दाह संस्कार के पर्यावरण-अनुकूल तरीकों को अपनाने और वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लकड़ी के साथ-साथ बिजली या पाइप द्वारा आपूर्ति की जाने वाली प्राकृतिक गैस (पीएनजी) चालित श्मशान की स्थापना पर विचार करने को कहा है। 

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दाह संस्कार के दौरान वायु प्रदूषण होता है और लकड़ी पर आधारित श्मशान के विकल्प के रूप में बिजली/पीएनजी चालित श्मशान की स्थापना की जा सकती है। न्यायाधिकरण ने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार, आग से दाह संस्कार की विधि को पवित्र माना जाता है और एक श्मशान में 350-450 किलोग्राम लकड़ी खुले में जला दी जाती है। 

एनजीटी ने स्पष्ट किया कि उसका किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का कोई इरादा नहीं है। एनजीटी ने कहा कि उसने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस तरह के प्रदूषण को रोकने के लिए उपचारात्मक कदमों पर विचार करने और लोगों को शिक्षित करने एवं दाह संस्कार के पर्यावरण-अनुकूल तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करने को कहा है। 

अधिकरण ने कहा, ‘‘शुरुआत में, लकड़ी आधारित श्मशान के विकल्प के रूप में बिजली/पीएनजी चालित श्मशान की स्थापना की जा सकती है और अगर लोगों को ऐसा करने के लिए राजी किया जाता है, तो लकड़ी पर आधारित श्मशान को हटाया जा सकता है। रिपोर्ट यह दिखाते हैं कि इस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।' पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘संबंधित प्राधिकरण पर्यावरण के हित में लकड़ी आधारित श्मशान के साथ-साथ बिजली/पीएनजी श्मशान की व्यवहार्यता का पता लगा सकते हैं और उन लोगों के लिए भी किफायती तरीकों का पता लगा सकते हैं, जिनके लिए लकड़ी आधारित दाह संस्कार की उच्च लागत वहन करना मुश्किल लगता है। इस पहलू पर सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के संबंधित अधिकारी विचार कर सकते हैं।''

न्यायाधिकरण गाजियाबाद के इंदिरापुरम के शक्ति खंड-4 में संचालित श्मशान में दाह संस्कार के दौरान धूल और उत्सर्जन के कारण वायु प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित रियल एंकर डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एनजीटी ने गाजियाबाद नगर निगम को वैज्ञानिक तरीके से पुराने कचरे की उपचारात्मक प्रक्रिया में तेजी लाने और वर्तमान कचरे के त्वरित प्रबंधन और निपटान को सुनिश्चित करने, अपशिष्ट प्रसंस्करण के संदर्भ में प्रबंधन की स्थिति का पता लगाने का भी निर्देश दिया।


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