NEWS4NATION DESK : आज केंद्रीय गृह मंत्री अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला बिल पेश करने वाले हैं। कहा जा रहा है कि इसके बाद मंगलवार को राज्यसभा में इसे पेश किया जाएगा।
एक तरफ इस बिल को सरकार आर्टिकल 370 जैसा अहम बता रही है तो कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए इसका तीखा विरोध कर रहे हैं। ऐसे में संसद में तीन तलाक और आर्टिकल 370 के बाद अब संसद मेंइस नागरिकता संशोधन विधेयकको लेकर घमासान देखने को मिल सकता है।
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि इस विधेयक को मंजूरी मिलने से पड़ोसी देशों में सताए गए लोगों को ताकत मिलेगी। इस बीच बीजेपी के महासचिव राम माधव ने रविवार को कहा कि पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार अल्पसंख्यक समुदाय को लोगों को नागरिकता देना भारत का कर्तव्य है।
इधर इस मामले को लेकर लोकसभा में कांग्रेस के लीडर अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को सोनिया गांधी के साथ पार्टी की संसदीय समिति की मीटिंग के बाद यह टिप्पणी की। इस मीटिंग में चौधरी के अलावा राज्यसभा में पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में चीफ विप के. सुरेश, गौरव गोगोई समेत कई नेता मौजूद थे।
इस बीच सरकार की अहम सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने बिल की सराहना तो की है, लेकिन इसमें मुस्लिमों को भी शामिल करने की मांग की है। इसके अलावा जेडीयू का भी रुख साफ नहीं है जबकि हाल ही में बीजेपी को छोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसे में सरकार के लिए इस बिल को राज्यसभा से पास कराना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। अकाली दल के मुखिया प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि हम लंबे समय से बीते 30 सालों में अफगान से आए 75 हजार सिख शरणार्थियों को नागरिकता की मांग करते रहे हैं।